सामर्थ्य के अनुसार हो रहा चुनाव प्रचार
गया। प्राय: चुनाव को धनबल, जनबल और बाहुबल का पर्याय माना जाता रहा है। जिसका इस्तेमाल लोकसभा, विधानसभ
गया। प्राय: चुनाव को धनबल, जनबल और बाहुबल का पर्याय माना जाता रहा है। जिसका इस्तेमाल लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद सहित न जाने कितने अन्य चुनाव में किया जाता है। लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में यह मिथ्क साबित होने लगा है। जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का प्रथम चरण समाप्त हो गया। दूसरे चरण के तहत आगामी 28 अप्रैल को मतदान होना है। और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल बोधगया प्रखंड में तीसरे चरण के तहत 2 मई को मतदान होना है। बोधगया के 17 पंचायत में विभिन्न पदों के लिए होने वाले चुनाव की सरगर्मी काफी बढ़ गयी है। ज्यों-ज्यों मतदान की तिथि नजदीक आ रही है। चुनावी समर में उतरे प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। इसके लिए वे जनबल का सहारा ज्यादा ले रहे हैं। धनबल का इस्तेमाल शराब बंदी के कारण नहीं हो पा रहा है। और बाहुबल का भ्रम तोड़ने के लिए प्रशासन-पुलिस सक्रिय है। पंचायत चुनाव के मद्देनजर आए दिन पुलिस द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में गुप्त सूचना के आधार पर देशी-विदेशी शराब के कारोबारी की गिरफ्तारी से लेकर अवैध हथियार तक बरामद कर रही है। इस बार पंचायत चुनाव प्रचार का नजारा भी बदला-बदला दिख रहा है। इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्राय: यह देखा जा रहा है चुनावी समर के प्रत्याशी अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दे रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में बैनर-पोस्टर की कमी नहीं है। कुछेक ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रचार के लिए सहारा ले रहे हैं। लेकिन कुछेक ऐसे भी प्रत्याशी है। जिन्हें बैनर-पोस्टर से ज्यादा भरोसा जनसंपर्क पर है।
बोधगया प्रखंड के कुछेक पंचायतों में मुखिया व पंचायत समिति सदस्य पद का चुनाव रोचक बन गया है। बकरौर पंचायत में राजनीति दल से संबंध रखने वाले से लेकर पूर्व जनप्रतिनिधि व विदेशी दान की राशि से समाजसेवा करने वाले तक मैदान में डटे हैं। वहीं, मोचारीम पंचायत में पंचायत समिति सदस्य का पद जातीय समीकरण को लेकर रोचक बना है।