महिलाएं भी कर रही हैं पिंडदान
गया। देवघाट स्थित फल्गु के तपते बालू पर देश विदेश से आए हुए पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष हेतु पि
गया। देवघाट स्थित फल्गु के तपते बालू पर देश विदेश से आए हुए पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष हेतु पिंडदान की क्रिया अपने ब्राह्मणों के निर्देशानुसार करने को तत्पर दिख रहे थे। बंगाल, राजस्थान व देश के विभिन्न राज्यों से आए पिंडदानी समूह में फल्गु नदी के चारों तरफ फैला हुआ था। पिंडदान, तर्पण पितरों के मोक्ष हेतु इन क्रियाओं में अक्सर पुरूष ही इस कार्य को करते है। अथवा उनके साथ उनकी पत्नी भी साथ होती हैं। परंतु, फल्गु के रेत पर निर्धन, पौढ़ व वृद्ध महिलाएं पूरे श्रद्धा के साथ कतार में पिंडदान के लिए तैयार दिखी। पूछने पर महिला पिंडदानियों ने बताया कि वे लोग झारखंड राज्य के कोरडमा जिले से आई हैं। बताया कि घर में पति व पुत्र भी है। जो दैनिक मजदूरी व खेत मजदूर है। उनके पास इतना समय नहीं है कि रोज की रोजी रोटी को छोड़कर पितरों के पिंडदान करने के लिए गयाजी आए। इन महिला पिंडदानियों ने वर्षो की जमा पूंजी को लेकर गयाजी आकर पिंडदान करने का निश्चय किया। और आज वे बड़े ही प्रसन्न मन से इस धार्मिक अनुष्ठान में लगी है। पूछने पर बताया कि सबसे पहले अपने ससुराल पक्ष से सास-ससुर व अन्य फिर अपने मैयके से मां-पिता व अन्य का पिंडदान करेगी। यह पूछने पर कि अपने साथ पति या पुत्र को लेकर आती तो पिंडदान करना अच्छा होता तो तपाक से जबाव दिया कि गयाजी में सीता मां ने अपने ससुर राजा दशरथ को बालू के पिंड से मोक्ष दिलवाया था। तो हम पिंडदान क्यो नही कर सकते है। हमें पूर्ण श्रि्वास है कि हमारे पूर्वज दिये गये पिंड से मोक्ष के अधिकारी होंगे। और उनके आशीष से हमारा परिवार फलें-फुलेगा। महिला पिंडदानी शांति देवी, पार्वती देरी, सरस्वती देवी, पूनिया, रूकमणी आदि लगभग 30 की संख्या में देवघाट फल्गु में पिंडदान कर रही थी।