काटा पहाड़ पर नहीं बुझी प्यास
गया। पानी को लेकर पर्वत पुरूष स्व. दशरथ मांझी ने 22 वर्षो तक पहाड़ काट कर एक आम रास्ता बनने का काम कि
गया। पानी को लेकर पर्वत पुरूष स्व. दशरथ मांझी ने 22 वर्षो तक पहाड़ काट कर एक आम रास्ता बनने का काम किया था। पर आज बाबा के आंगन मोहड़ा प्रखंड के दशरथनगर के लोग प्यासे है। सरकारी पेयजल परियोजना बंद पड़ा है। सोमवार को बाबा के प्रतिमा के अनावरण के अवसर लोगों चर्चा कर रहे थे कि बाबा ने पानी को लेकर पहाड़ को काट दिया था। क्योंकि पत्नी फगुनीया देवी की पानी का मटका पहाड़ से टकराने से टूट गया था। पर उस समय भी बाबा प्यासे थे और आज भी गांव के लोग प्यासे है।
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कितना लगा था लागत
पीएचईडी विभाग के सौर्य उर्जा नलकूप 18 लाख के लागत से बाबा के गांव लगाया गया था। नलकूप का उद्दघाटन पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के द्वारा किया गया था। पर मात्र 10 दिनों तक नलकूप चला। और उसके बाद बंद पड़ा है। जो आज तक बंद है।
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आदर्श गांव लोग प्यासे
पर्वत पुरूष स्व. दशरथ मांझी के गांव को आदर्श का दर्जा मिला है। पर ग्रामीण प्यासे है। ग्रामीण श्यामदेव मांझी, योगेन्द्र मांझी आदि कहना है कि गांव में मात्र 2 सरकारी चापाकल है। इतनी बड़ी गांव दो चापाकल से पानी सभी को नहीं मिल रहा है। आज लोग कुंआ के पानी पी रहे है। आदर्श गांव का दर्जा मिला पर सुविधा कुछ भी नहीं। नलकूप शोभ की वस्तु बनकर रह गया है। लोग सुबह की पानी शाम को तथा शाम की पानी सुबह पी रहे है।
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क्या कहते है बाबा के पुत्र
बाबा के पुत्र भगीरथ मांझी का कहना है कि यह नलकूप चालू होने के 10 दिन के बाद बंद हो गया। पानी के लिए लोगों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। और मेरे जमीन में नलकूप लगाकर विभाग ने काफी नुकसान करने का काम किया है। क्योंकि 2 कठा जमीन का लागत इस समय लगभग 6 लाख रुपया है।