::: रात एक बजे वरीय अधिकारियों को थी घटना की सूचना
अनवर हुसैन सोनी, आमस (गया) जिले में प्रतिबंधित नक्सली संगठनों के खिलाफ वरीय अधिकारियों की क्या
अनवर हुसैन सोनी, आमस (गया)
जिले में प्रतिबंधित नक्सली संगठनों के खिलाफ वरीय अधिकारियों की क्या सोच व रणनीति है। इस बात का गवाह गया के आमस थाना क्षेत्र में रविवार की रात एक साथ 32 वाहनों के जलाए जाने की घटना है। आमस थाना में दर्ज प्राथमिकी के सूचक आमस थाना के तत्कालीन एसएचओ अर्जुन प्रसाद हैं। जिन्होंने अपने लिखित फर्द बयान में यह बात स्वीकार की है कि रात एक बजे वरीय अधिकारियों को नक्सली हमले के संबंध में सूचना दे दी गई थी। ऐसे में यदि एसएचओ श्री प्रसाद की बात सच है तो घटना स्थल पर सोमवार की सुबह पहुंचे वरीय अधिकारियों की विभागीय कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगता है।
नक्सली बंदी के दौरान माओवादियों द्वारा जीटी रोड पर 24 मई की रात्रि आमस के विशुनपुर के समीप किये गये अब तक की सबसे बड़ी वारदात मे समय रहते अगर पुलिसबल घटना स्थल पर पहुंच जाती तो कइ नक्सली पुलिस गोली के शिकार हो सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। घटना के बाद पुलिस कितनी चुस्त दिखी उसकी एक बानगी यह भी है कि जिले के कई वरीय अधिकारी घटना स्थल पर सोमवार की सुबह 6 बजे पहुंचे। आमस थानाध्यक्ष अर्जुन प्रसाद की ओर से दर्ज की गई प्राथमिकी व स्टेशन डायरी मे इस बात का जिक्रहै। सवाल यह है कि जिला मुख्यालय से घटना स्थल की दुरी 60 किलो मीटर है। यह दूरी तय करने में औसतन डेढ़ से दो घंटा लगता है। लेकिन जिला मुख्यालय में पदस्थापित वरीय अधिकारियों को 5 घटा का समय घटना स्थल पर पहुंचने में लगा। जो स्थानीय ग्रामीणों के बीच वरीय अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है।
यदि समय रहते कोताही करने के आरोप में एसएचओ अर्जुन प्रसाद पर विभागीय कार्रवाई हो सकती है। तब ऐसी स्थिति में सूचना मिलने के बाद पांच घंटे बाद घटना स्थल पर पहुंचने वाले जिले के वरीय अधिकारियों के खिलाफ पुलिस महकमा क्या कार्रवाई करेगा? इस सवाल का जवाब कनीय पुलिस अधिकारियों के बीच चर्चा में है।