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भारत स्थित बौद्ध स्थलों को और विकसित करने की जरूरत

जागरण संवाददाता, बोधगया (गया): मगध विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर भूगोल विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अं

By Edited By: Published: Fri, 27 Feb 2015 09:05 PM (IST)Updated: Fri, 27 Feb 2015 09:05 PM (IST)
भारत स्थित बौद्ध स्थलों को और विकसित करने की जरूरत

जागरण संवाददाता, बोधगया (गया): मगध विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर भूगोल विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन शुक्रवार को रिलीजियस-इक्का-टूरिज्म पर एक विशेष सत्र का संचालन किया गया। महाबोधि सोसाइटी आफ इंडिया के सभागार में आयोजित इस सत्र में श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, बंगलादेश, जापान और जर्मनी के वक्ताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने अपने-अपने देश के साथ भारत के सांस्कृतिक व सामरिक संबंधों पर प्रकाश डाला और कहा कि भारत स्थित बौद्ध स्थलों का काफी प्रचार-प्रसार हुआ। लेकिन आज भी जरूरत इसे और विकसित करने की है। महाबोधि सोसाइटी के महासचिव डा. पी. सिवली थेरो ने कहा कि बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए सम्राट अशोक ने अपने पुत्र व पुत्री को भारत से श्रीलंका भेजा। जब आवागमन के भरपूर संसाधन उपलब्ध नहीं थे। तब भी पर्यटक आते थे और संसाधन विकसित होने पर भी आ रहे हैं। थाइलैंड के भंते अतिवत उपाली, बंगलादेश के डा. वरा संबोधि थेरो, म्यांमार के डा. सा तुत संदारा, जापान के डा. सासाकी काजूनोरी ने कहा कि विभिन्न देशों के लोग भारत में दो तरह की यात्रा करने आते हैं। एक तो ऐतिहासिक स्थलों का परिभ्रमण और दूसरा धार्मिक भावना के साथ धर्मस्थलों का परिभ्रमण करने तीर्थ यात्री के रूप में। यहां आगत पर्यटकों को सुरक्षा की गारंटी मिले और पर्यटक स्थलों तक पहुंचने के पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए संसाधन को विकसित किया जाए। तो निश्चित ही पर्यटकों के संख्या में और इजाफा होगा। सत्र की अध्यक्षता प्रो. हैको एम रा ने की। मंच संचालन डा. कैलाश प्रसाद, स्वागत भाषण डा. किरण लामा व धन्यवाद ज्ञापन एन. दोरजे व एएच खान ने की। सोसाइटी परिसर में दूसरा सत्र पर्यावरण पर आयोजित किया गया।


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