बिजली विभाग पर 96 करोड़ बकाया
संवाद सहयोगी (गया नगर) : आम लोग की यह बराबर मांग होती है कि शहरी क्षेत्र में निर्वाध बिजली की आपूर्त
संवाद सहयोगी (गया नगर) : आम लोग की यह बराबर मांग होती है कि शहरी क्षेत्र में निर्वाध बिजली की आपूर्ति की जाए। जब से शहरी क्षेत्र की बिजली आपूर्ति की कमान इंडिया पावर कम्पनी को दी गई है, निश्चित तौर पर निर्वाध बिजली की आपूर्ति की जा रही है। पर, वर्तमान समय में शहरी क्षेत्र में संचालित जिलास्तरीय कार्यालय पर करीब 96 करोड़ रुपये बिजली विभाग का बकाया है। इतनी बड़ी राशि बकाए होने के बाद भी सरकारी कार्यालयों की निर्वाध बिजली की आपूर्ति की जा रही है। बिजली का बकाए रहने के बाद भी इनकी बिजली कनेक्शन को काटा नहीं जाता है।
अमूमन देखा जाता है कि बिजली के आम उपभोक्ता जिस पर हजार में बकाया होता है, तो उनके घर व दुकानों की बिजली काट दी जाती है। फिर भी पूर्व में बिहार राज्य विद्युत बोर्ड, साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूसन कम्पनी और वर्तमान में इंडिया पावर कम्पनी ने बकाया रखने वाले सरकारी कार्यालय की बिजली कनेक्शन क्यों नहीं काटा गया? यह सवाल यह उपभोक्ताओ के बीच चर्चा हो रही है। जबकि कई सरकारी कार्यालय में 24 घंटे बिजली का उपयोग हो रहा है। जिलास्तरीय कार्यालय में राज्य सरकार द्वारा अलग से बिजली बिल के भुगतान के लिए आवंटन आता है। फिर भी जिला स्तरीय पदाधिकारी बिजली बिल भुगतान करने में कोताही बरत रहे हैं।
डीएम करते बिजली की मानिटरिंग
गया : जिले में चल रहे प्राय: कार्यो की मानिटरिंग जिला पदाधिकारी करते है। उन कार्यो में बिजली आपूर्ति ठीक रखने और राजस्व के लिए उन्हें भी पहल करनी होगी। उनके मानिटरिंग के बाद भी जिला स्तर के सरकारी कार्यालयों पर करीब 96 करोड़ रुपये बकाया है।
क्या कहते हैं अधिकारी
गया : इंडिया पावर के कामर्शियल महाप्रबंधक रवि शंकर शुक्ला का कहना है कि पिछले छह माह के अधिक समय से आपूर्ति की कमान संभाली है। कम्पनी का करीब 6.4 करोड़ बकाया है। इससे पहले का भी जो बकाया है। वह कम्पनी ही वसूल करेगी। इसके लिए अभी व्यक्तिगत रूप से पदाधिकारी से सम्पर्क कर बकाया राशि का भुगतान करने का आग्रह कर रहे हैं। लेकिन अगर सरकारी विभाग के अधिकारी भुगतान नहीं करते हैं, तो लिगल नोटिस भेजने का भी प्रावधान है।
----------
कुछ कार्यालय पर बकाया बड़ी राशि
पीएचईडी- 18.14 करोड़
किलोस्कर-18.16 करोड़
पीडब्ल्यूडी-11.19 लाख
वाटर बोर्ड-7.58 करोड़
अम्बेदकर छात्रावास- 52.09 लाख
रेलवे- 6.48 करोड़
16 सरकारी अस्पताल-7.29 करोड़
मगध विश्वविद्यालय-29.28 लाख
सीआरपीएफ-16.15 लाख।