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राष्ट्रीय मानवाधिकार अयोग ने लिया संज्ञान

- रेलवे बोर्ड के चेयरमैन से चार सप्ताह के भीतर मांगा जवाब - मामला गया जंक्शन के शवगृह में रखे शवों

By Edited By: Published: Fri, 30 Jan 2015 12:00 AM (IST)Updated: Fri, 30 Jan 2015 05:41 AM (IST)
राष्ट्रीय मानवाधिकार अयोग ने लिया संज्ञान

- रेलवे बोर्ड के चेयरमैन से चार सप्ताह के भीतर मांगा जवाब

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- मामला गया जंक्शन के शवगृह में रखे शवों को चूहे द्वारा कुतरने का

- प्रबुद्ध नागरिक परिषद ने मामले को मानवाधिकार आयोग तक पहुंचाया

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देवव्रत, गया : 'दैनिक जागरण' अपने सात सरोकार के वायदे पर एक बार फिर खरा उतरा है। स्वस्थ समाज' की बात हो या फिर 'सुशिक्षित समाज' की। जब कहीं भी आवश्यकता पड़ी। वहां 'पत्र ही नहीं मित्र भी' के स्लोगन को सार्थक साबित करने की ठोस पहल की है। इसी कड़ी में एक ताजा उदाहरण यह है कि 'दैनिक जागरण' ने गत वर्ष 13 नवंबर के अंक में 'यहां शव को खा जाते चूहे' शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित करते हुए मानवाधिकार के हनन जैसे मुद्दे को उठाया। खबर का असर हुआ। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस विषय को गंभीरता से लिया। संज्ञान लेते हुए एक मामला केस नंबर- 4606/4/11/2014 दर्ज कर लिया। केस दर्ज कर लिए जाने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सहायक निंबधक (विधि) ने 16 जनवरी 2015 को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को एक नोटिस भेजा। जिसमें आयोग ने चेयरमैन से संबंधित प्राधिकार से चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तलब किया है।

ऐसे बना मामला

'दैनिक जागरण' में छपी उक्त रिपोर्ट की प्रति लगाते हुए प्रबुद्ध नागरिक परिषद के संयोजक बृजनंदन पाठक ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंचा दिया। 17 नवंबर 14 को प्रेषित अपने आवेदन में श्री पाठक ने इस मुद्दे को मानवता को तार-तार कर देने वाली इस हालात से अवगत कराया। और यहां एक अच्छा वातानुकूलित शवगृह के निर्माण एवं शवों के अंतिम संस्कार करने हेतु इस कार्य में लगे व्यक्ति को उचित राशि की व्यवस्था कराने की मांग आयोग से की।

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आज भी बनी है यही हालात

गुरुवार को गया जंक्शन के इस शवगृह में एक शव कोने में जमीन पर पड़ा था। इसके आसपास चूहे नहीं थे। कारण कि शव को डिस्पोजल करने वाला लखन तथा कृष्णा इसी शवगृह में थे। इसी शवगृह के एक कोने में टूटे-फूटे हालात में एक पुराना स्ट्रैचर व रिक्शा ठेला के साथ-साथ कुछ गंदे वस्त्र भी थे। शव किसी पुराने व गंदे कपड़े में लिपटा था। मृत व्यक्ति की बदनसीबी ही कही जाएगी कि उसे पांच गज का कफन भी नसीब नहीं हुआ।

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'हृदय' योजना को पहुंचेगी ठेस

अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल बोधगया व उत्तर भारत की सांस्कृतिक नगरी 'गयाजी' को भारत सरकार ने 'हृदय' योजना में शामिल कर लिया है। रेलमार्ग से सालो भर यहां देशी-विदेशी सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है। वहीं अपने पितरों के मोक्ष का मार्ग प्रशस्त कराने को लेकर हिंदु धर्मावलंबियों का सालो भर रेलमार्ग से आना-जाना होता है। ऐसे में यदि गया जंक्शन के इस शवगृह की दशा नहीं सुधरी तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी 'हृदय' योजना को ठेस अवश्य पहुंचेगी।


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