चीवरदान की परंपरा बुद्धकालीन
जागरण संवाददाता, बोधगया (गया) : बौद्ध भिक्षुओं के बीच चीवरदान करने की परंपरा बुद्धकालीन है। भगवान बु
जागरण संवाददाता, बोधगया (गया) : बौद्ध भिक्षुओं के बीच चीवरदान करने की परंपरा बुद्धकालीन है। भगवान बुद्ध ने भी त्रैमासिक वर्षावास काल व्यतीत किया था। उस वक्त आम लोगों ने चीवरदान किया था। उक्त बातें शनिवार को बोधगया स्थित बुद्धिस्ट थाई-भारत सोसाइटी (वट-पा) में महाकठिन चीवरदान समारोह के उपरांत भिक्षु प्रभारी भंते बुद्धियानों ने कही। उन्होंने कहा कि समारोह का आयोजन थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री के भाई पायप सिनवात्रा अपनी पत्नी व बच्चे व लगभग साढ़े तीन सौ श्रद्धालुओं के द्वारा किया गया था। जिसमें बोधगया स्थित विभिन्न बौद्ध महाविहारों के लगभग एक सौ बौद्ध भिक्षुओं को चीवर दान दिया। समारोह वट-पा के मंदिर में हुआ। जिसकी शुरूआत पायप सिनवात्रा ने दीप प्रज्वलित कर किया। श्री सिनवात्रा व थाईलैंड से आए लगभग साढ़े तीन सौ श्रद्धालुओं ने भिक्षु संघ को चीवर समर्पित करने हेतु थाई परंपरा के तहत मंत्रोच्चार किया। वहीं, भिक्षुओं ने सूत्त पाठ कर श्रद्धालुओं को आर्शीवाद दिया। भिक्षु प्रभारी को श्री सिनवात्रा ने अपनी पत्नी व बच्चों के साथ चीवर समर्पित किया। इसके पूर्व सभी ने विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर के गर्भगृह व पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में विशेष पूजा-अर्चना किए। वट-पा में संघदान के उपरांत महाकठिन चीवरदान समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर श्री सिनवात्रा व अन्य श्रद्धालुओं ने भिखारियों के बीच राशि दान दिया।