दवा कंपनियों ने की अरबों की टैक्स चोरी
पंकज कुमार, गया:
देश की कई चर्चित दवा कंपनियों ने अरबों रुपए की टैक्स की चोरी की है। वित्तीय वर्ष 2004-05 से सरकारी राजस्व को क्षति पहुंचाई जा रही है। दवा कंपनियां सरकार को अब तक एक अनुमान के अनुसार कई अरब रुपया के राजस्व का नुकसान पहुंचा चुकी है। मगध प्रमंडल के वाणिज्य कर विभाग के संयुक्त आयुक्त बीके पचेरीवाल के साथ बुधवार को दवा विक्रेता संघ के पदाधिकारियों की बैठक में उपरोक्त घोटाले का पर्दाफाश हुआ। टैक्स चोरी के लिए जिम्मेवार ऐसी कंपनियों से अब गया के दवा दुकानदार व्यापारिक रिश्ता नहीं रखने का निर्णय लिया है।
संयुक्त आयुक्त (प्रशासन) श्री पचेरीवाल ने बताया कि देश की कई बड़ी दवा कंपनियां सरकार के राजस्व को पिछले एक दशक से क्षति पहुंचा रही है। लगभग एक दर्जन से अधिक दवा कंपनियां सीएनएफ को सीधे दवा भेजती है। कंपनी के द्वारा सीएनएफ को भेजी गई दवा के मूल्य पर टैक्स सरकार को दे रही है। जबकि आखिरी स्तर पर दवा की खरीद उपभोक्ता के द्वारा की जाती है। उपभोक्ता कंपनी द्वारा तय एमआरपी दर पर भुगतान करता है। सीएनएफ से जब दवा उपभोक्ताओं तक पहुंचती है। तब दवा की कीमत में काफी अंतर आ जाता है।
संयुक्त आयुक्त (प्रशासन) श्री पचेरीवाल के अनुसार कई नामचीन दवा कंपनियां राज्य सरकार को एमआरपी पर बेची जा रही दवा पर प्राप्त राशि पर टैक्स नही दे रही है। यह सिलसिला 2004-05 वित्तीय वर्ष से जारी है। उन्होंने इस बात से इंकार नही किया कि यदि जांच हुई तो टैक्स चोरी की राशि कई अरब रुपये तक जा सकती है।
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दवा नही मंगाने का निर्णय
गया: वाणिज्य कर विभाग एवं जिला दवा विक्रेता संघ के पदाधिकारियों के बीच बुधवार को हुई बैठक में एक अहम निर्णय लिया गया। संयुक्त आयुक्त(प्रशासन)बीके पचेरीवाल ने बताया कि संघ के पदाधिकारियों ने बैठक में एमआरपी दर पर बेची जा रही दवा के मूल्य पर टैक्स नही देने वाली कंपनियों के साथ व्यवसायिक रिश्ता नही रखने का निर्णय लिया है। वहीं, संघ के जिलाध्यक्ष गणेश कुमार ने बताया कि ऐसी कंपनियों से दवा मंगाने वाले दुकानदारों ने संघ को सूचित किया है कि वे टैक्स चोरी करने वाली दवा कंपनियों से तब तक दवा नहीं मंगाएंगे जब तक वे सरकार को सही टैक्स का भुगतान नही करते है।