महाबोधि मंदिर के आसपास भंवरे व मधुमक्खियों से पर्यटक परेशान
पतझड़ के मौसम और तेज गर्मी में बोधगया में भंवरों व मधुमक्खियों का खतरा बढ़ जाता है। इनके छत्ते न सिर्फ विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित बोधिवृक्ष में हैं बल्कि आसपास भी लगे हैं। वहीं थाई मंदिर सहित अन्य विदेशी बौद्ध मंदिरों में भी मधुमक्खियों के छत्ते लगे हैं। थाई मंदिर में लगे छत्ते से जब मधुमक्खी उड़ते हैं तो सड़क पर सन्नाटा पसर जाता है। आसपास के दुकानदार अपनी दुकानों के शटर गिरा देते हैं। ऐसा नजारा हर साल पतझड़ व गर्मी के दिनों में देखने को मिलता है।
गया । पतझड़ के मौसम और तेज गर्मी में बोधगया में भंवरों व मधुमक्खियों का खतरा बढ़ जाता है। इनके छत्ते न सिर्फ विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर परिसर में स्थित बोधिवृक्ष में हैं, बल्कि आसपास भी लगे हैं। वहीं, थाई मंदिर सहित अन्य विदेशी बौद्ध मंदिरों में भी मधुमक्खियों के छत्ते लगे हैं। थाई मंदिर में लगे छत्ते से जब मधुमक्खी उड़ते हैं तो सड़क पर सन्नाटा पसर जाता है। आसपास के दुकानदार अपनी दुकानों के शटर गिरा देते हैं। ऐसा नजारा हर साल पतझड़ व गर्मी के दिनों में देखने को मिलता है।
पिछले एक सप्ताह से भंवरे व मधुमक्खी से पर्यटक परेशान हैं। इनके काटने से कई जख्मी हो गए हैं। देशी-विदेशी पर्यटक अपना शरीर ढंक कर जान बचाते हैं। काफी दूर तक भंवरे व मधुमक्खी पीछा करते हैं। रविवार को भी महाबोधि मंदिर में अचानक मधुमक्खियों का झुंड पर्यटकों पर हमला बोल दिया। पर्यटक इधर-उधर भागने लगे, लेकिन तब तक कई सैलानी मधुमक्खी के डंक के शिकार हो चुके थे।
जानकार बताते हैं कि पतझड़ के मौसम में भंवरों व मधुमक्खियों के छत्ते पर एक भी पत्ता भी गिरता है तो सभी भागने लगते हैं। महाबोधि मंदिर के केयरटेकर भंते दीनानंद बताते हैं, सभी छत्ते इतनी ऊंचाई पर है कि हटाना मुश्किल है। हालांकि, थाई मंदिर से कई बार हटाया गया, लेकिन फिर से मधुमक्खी अपना छत्ता बना लेते हैं।