हर युग में भगवान का होता है अवतार: रूपकांत झा
भगवान हर युग में अवतार लेते हैं, मगर उनका मकसद अलग-अलग होता है। सतयुग में सत्य की स्थापना, त्रेतायुग में मानवीय मूल्यों व मर्यादाओं की रक्षा और द्वापर युग में जीवन की खुशहाली के लिए ईश्वर ने अवतार लिया।
मोतिहारी। भगवान हर युग में अवतार लेते हैं, मगर उनका मकसद अलग-अलग होता है। सतयुग में सत्य की स्थापना, त्रेतायुग में मानवीय मूल्यों व मर्यादाओं की रक्षा और द्वापर युग में जीवन की खुशहाली के लिए ईश्वर ने अवतार लिया। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं के माध्यम से जीवन के असली रंग से अवगत कराया। उक्त बातें शहर के कैलाशनगर मजुराहां में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में प्रवचन करते हुए कथावाचक रूपकांत झा ने कहीं। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के साथ ही शोषण व प्रताड़ना भरी ¨जदगी से लोगों को मुक्ति मिल गई। गोपिकाओं के साथ रासलीला रचा जीवन में प्रेम व सौहार्द का संदेश भी दिया। जीवन मे अत्याचार को सहन करना अत्याचार करने के समान है। अगर कहीं अत्याचार हो रहा है औऱ आप चुप हैं तो आप भी उसमें बराबर के भागीदार हैं। इसलिए उसका विरोध व दंड देना हर नागरिक का कर्तव्य बनता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मामा का वध कर औऱ पांडवों के हाथों उनके पारिवारिक अत्याचारी कौरव वंश का अंत कर इसे सिद्ध किया। इस मौके पर उन्होंने झांकी के माध्यम से श्रीकृष्ण की लीलाओं का सजीव वर्णन किया। साथ ही संगीतमय कथावाचन से लोगों का दिल जीत लिया। मौके पर रामबहादुर तिवारी, नगर पार्षद सिकंदर चौरसिया, मदन प्रसाद यादव, मनोज आजाद, अजय कुमार ¨सह, रामाज्ञा भगत, भगवान साह, लक्ष्मी भगत, ¨पकू लाल, देवजी चौधरी, चंदन यादव, मिथिलेश ¨सह, विपिन ¨सह, रामा प्रसाद ¨सह, उमाशंकर ठाकुर, रामरिषि प्रसाद, जटाधारी पंडित, नागेंद्र ¨सह, जितेंद्र वर्मा, राजीव रंजन श्रीवास्तव, भागीरथ भगत, सुरेश कुमार, बनारसी साह आदि मौजूद थे।