लाल बहादुर शास्त्री को नहीं जानते बच्चे
शैक्षणिक व्यवस्था की हकीकत जानने के निमित चलाए जा रहे ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड के तहत 'दैनिक जागरण' की टीम ने सोमवार को राजकीय मध्य विद्यालय केसरिया बालक का जायजा लिया। विद्यालय परिसर में हम पूर्वाह्न 11:15 बजे पहुंचे।
मोतिहारी। शैक्षणिक व्यवस्था की हकीकत जानने के निमित चलाए जा रहे ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड के तहत 'दैनिक जागरण' की टीम ने सोमवार को राजकीय मध्य विद्यालय केसरिया बालक का जायजा लिया। विद्यालय परिसर में हम पूर्वाह्न 11:15 बजे पहुंचे। हल्की बूंदाबांदी हो रही थी। परिसर में य़त्र-त़त्र जल जमाव था। यह विद्यालय केसरिया प्रखंड का सबसे खास विद्यालय है। वजह है कि इसी परिसर में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का भी कार्यालय है। कस्तूरबा गांधी विद्यालय से लेकर बीआरसी की भी सभी गतिविधियां इसी परिसर में संचालित होती हैं। बारिश के कारण परिसर कुछ खाली खाली सा दिख रहा था। पुराने भवन में कार्यालय कक्ष था। काफी जर्जर हाल दिखा। हम पानी से बचते बचाते कार्यालय कक्ष में दाखिल हुए। प्रधानाध्यापक से बातें हुई। उन्होंने बताया कि आज बारिश के कारण बच्चे कुछ कम आए हैं। हम वर्ग कक्ष की ओर बढ गए।
कुछ ऐसी दिखी तस्वीर : पूछा महीना कौन सा बताया शुक्रवार
नए भवन के दूसरे तल पर कक्षा का संचालन हो रहा था। हम प्रधानाध्यापक के साथ कक्षा 8 में पहुंचे। बच्चे कम थे। कारण बारिश बताया गया। बहरहाल, हमने बच्चों से बातें की। बच्चे थोडे असहज लग रहे थे। बातचीत से सामान्य भी हो गए। सभी बच्चे फर्श पर ही बैठे थे। एक बच्चे से पूछा यह कौन महीना है, उत्तर मिला शुक्रवार। दो अक्टूबर के महत्व से ज्यादातर बच्चे अंजान थे। कुछ बच्चों ने बताया कि हम महात्मा गांधी की जयंती मनाते हैं। हमने पूछा एक और महापुरुष हैं जिनकी जन्म तिथि भी दो अक्टूबर है। बच्चे खामोश रहे। सही उत्तर शिक्षिका द्वारा बच्चों को बताया गया। मुंबई को बच्चों ने उत्तर प्रदेश की राजधानी बताया। वहीं एक बच्चे ने महात्मा गांधी को देश का राष्ट्रपति बताया, तो दूसरे ने नीतीश कुमार बताया। हालांकि एक छात्रा ने सही उत्तर दिया। हम कक्षा 7 के बच्चों से भी मिले। इसी क्रम में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी बाबूलाल सहनी भी आ गए। दो अक्टूबर के विषय में हमने चर्चा की। लाल बहादुर शास्त्री के बारे में बच्चों को छोडिए शिक्षिका भी उनसे अनजान थीं। बुनियादी जानकारी के मामले में बच्चे कमजोर दिखे। एक ने राष्ट्रपति का नाम नीतीश कुमार तो दूसरे ने राज्य की राजधानी दिल्ली बताई। वहीं इंदिरा गांधी के बारे में पूछे जाने पर बच्चों ने उन्हें राष्ट्रपति बताया। ज्यादातर बच्चे इंदिरा गांधी से अंजान थे। गणित के सरल प्रश्न भी कठिन लगे। बीईओ बच्चों की स्थिति को गौर से देख रहे थे। उनके साथ हम कक्षा 6 में पहुंचे। बच्चों ने गुड मॉर्निंग किया। अच्छा लगा। हमने कहा गुड मॉर्निंग आप लिख सकते हैं। सभी खामोश हो गए। एक बच्चे ने लिखने की ठानी, लिख भी दिया। हमने पूछा जिले का नाम, उत्तर मिला केसरिया। दूसरे ने भी इस उत्तर को सही बताया। गणित व अन्य विषयों के मामले में भी बच्चों की स्थिति अपेक्षित स्तर की नहीं थी। हालांकि कक्षाओं में एक दो ऐसे बच्चे भी थे जो प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम थे। मगर कुल मिलाकर स्थिति संतोषजनक नहीं दिखी। यह अच्छा संयोग था कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी भी इस दौरान मौजूद रहे और शिक्षा के स्तर को बहुत करीब से देखा।
वर्जन
हम शिक्षा क स्तर में सुधार को लेकर लगातार प्रयासरत हैं। कुछ व्यवहारिक कठिनाईयां हैं। उन्हें हम ठीक कर रहे हैं। कक्षा के अनुरुप शिक्षकों की भी कमी है। बच्चे फर्श पर बैठने को मजबूर हैं। बेंच डेस्क का भी अभाव है।
- जगदीश बैठा, प्रधानाध्यापक, राजकीय मध्य विद्यालय केसरिया बालक
वर्जन
दैनिक जागरण का यह प्रयास सराहनीय हैं। शिक्षा के क्षेत्र में इसका सकारात्मक असर होगा। हमने केसरिया के इस विद्यालय की स्थिति देखी है। यह गंभीर है। केसरिया में शिक्षा का बेहतर माहौल बनाने की दिशा में हम सक्रिय हैं।
- बाबूलाल सहनी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, केसरिया
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