'नफरत' की आंधी बुझा गई घर का 'चिराग'
मोतिहारी। हरसिद्धि के पानापुर रंजीता स्थित प्रख्यात चिकित्सक स्व. शशिभूषण प्रसाद उर्फ मन्नू बाबू के
मोतिहारी। हरसिद्धि के पानापुर रंजीता स्थित प्रख्यात चिकित्सक स्व. शशिभूषण प्रसाद उर्फ मन्नू बाबू के दरवाजे पर उनकी बेटी सुलेखा भूषण शुक्रवार की शाम से ही अपने इकलौते पुत्र आशीष का शव गोद में लिए किस्मत को कोस रही थी। एक तरफ बेटे की हत्या हुई थी तो दूसरी तरफ उसे मुखाग्नि देने के लिए उसके पिता का इंतजार। लेकिन, पिता रंजीता नहीं आए। अगली सुबह सुलेखा ने आखिरकार अपने पिता के घर से शनिवार को पुत्र आशीष को अंतिम विदाई दी और उसका शव मोतिहारी लाया गया। जहां बालगंगा स्थित एक भखंड पर आशीष के पिता अतुल कुमार ने उसके दादा की समाधि के पास उसे मुखाग्नि दी। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर जितने मुंह उतनी बातें हो रही हैं। सबसे बड़ा सवाल जो उभरकर सामने आया है वह यह कि आशीष की मां अलग उसे लेकर रहती थी और पिता अपनी ¨जदगी जी रहे थे। इस बीच पुत्र अपनी पढ़ाई कर रहा था। लेकिन, जिस तरह से उसके स्कूल की उपस्थिति सामने आई है। आम आदमी के रोंगटे खड़े हो गए। रंजीता का हर आदमी बस यहीं कहते मिला नफरत की यह कैसी दीवार है जो पुत्र की मौत के बाद भी नहीं दरकी। भगवान ना करे कि प्यार के रिश्तों में ऐसी कड़वाहट घुले और घर का चिराग ही इस अनदेखी में बुझ जाए।
जब-जब देखा पुत्र का शव याद आए पिता
शुक्रवार की शाम से लेकर शनिवार की दोपहर तक सुलेखा भूषण ने जब-जब अपने पुत्र का शव देखा उसे अपने पिता की याद आई। वह बस यहीं रट लगाए रही कि जीवन में सबकुछ तो समाप्त हो गया था। एक बेटा था जिसे पिता की तरह चिकित्सक बनाने का सपना देखा था। वह भी लोगों को नहीं पचा और उसे भी मौत के घाट उतार दिया गया।
वर्ष 1997 में हुआ ब्याह, अगले साल से टकराव, मार्च 2015 में सुलह
सुलेखा अपना दर्द बताते हुए कहती है कि वर्ष 1997 में उसका ब्याह मोतिहारी के बलुआ टाल निवासी अतुल कुमार (वर्तमान में खगड़िया ग्रामीण बैंक में प्रबंधक) से हुई थी। शादी के एक वर्ष बाद जब आशीष गर्भ में
था तभी से उसे पति, ससुर, सास, गोतनी व भैसुर प्रताड़ित करने लगे। उन्हें पागल करार देने के लिए जबरन रांची के कांके स्थित मानसिक अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस पर पिता ने तलाक के लिए न्यायालय में अर्जी लगाई। यह मुकदमा चल ही रहा था कि रिश्तेदारों ने पहल कर आवश्यक गुजारा भत्ता देने के लिखित आश्वासन पर इसी वर्ष मार्च महीने में सुलह करा दिया।
आशीष के मित्रों का आना जाना लगा रहता था घर पर सुलेखा बताती है कि उनके पुत्र आशीष के मित्र आजाद नगर के अंकित कुमार, अमन कुमार और अंबिका नगर के सुमन सौरभ व दो अन्य लड़कों का उनके घर पर आना जाना लगा रहता था। घटना के एक दिन पहले गुरुवार को मोहित कुमार आशीष को घर से बुलाकर ले गया। मेरे बेटे ने दो सौ रुपये मांगे, जिसे मैंने दे दिया।
हत्या के पीछे संपत्ति तो वजह नहीं
इस हत्याकांड के कारणों का साफ तौर पर खुलासा नहीं हो पाया है। लेकिन, इस बात की चर्चा जोरों पर है कि सुलेखा को उसके मायके में भी उसके पिता ने जमीन दे रखी थी। अंबिकानगर में उसके पति की खरीदी जमीन पर मकान भी बन रहा था। इस बीच हाल में पति के साथ हुए समझौते में भी सुलेखा को लाखों रुपये मिले थे। ऐसे में कहीं संपत्ति तो आशीष की हत्या के पीछे की वजह नहीं है।
घटनाक्रम एक नजर में 30 जुलाई 2015 को आशीष मोहित के फोन पर घर से सुबह 10:30 बजे निकला।31 जुलाई 2015 की सुबह चांदमारी स्थित मनीष कुमार सिन्हा के मकान से मिला शव।- पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया। शव को मां और मामा लेकर गए हरसिद्धि के पानापुर रंजीता गए।- पिता अतुल कुमार का हुआ इंतजार। 01 अगस्त 2015 को भी पिता के नहीं पहुंचने की स्थिति में मोतिहारी लाया गया शव। पिता अतुल कुमार ने दी मुखाग्नि।- पुलिस ने मामले में पांच लोगों को लिया हिरासत में, चल रही पूछताछ।
- संपादन-संजय