पौधशाला में कीटनाशक का प्रयोग जरूरी : डीएफओ
मोतिहारी, संवाद सहयोगी : सरकार की योजना है कि अधिक से अधिक किसान अपनी खाली पड़ी भूमि पर पेड़-पौधे लगाए
मोतिहारी, संवाद सहयोगी : सरकार की योजना है कि अधिक से अधिक किसान अपनी खाली पड़ी भूमि पर पेड़-पौधे लगाए व पौधशाला में पौधे तैयार करें। इसके लिए सरकार अनुदान भी देती है। उक्त बातें डीएफओ मोख्तारूल हक ने कही। पौधशाला लगाने से ज्यादा जरूरी है उसमें लगे पौधों को सुरक्षित तैयार करना। उन्होंने बताया कि कई ऐसे छोटे-छोटे कीड़े होते हैं जो पौधे की पतियों व जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके लिए समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव जरूरी हो जाता है। ताकि पौधे सुरक्षित तैयार हो सके।
नुकसान देह कीड़े-
पौधशालाओं में कुछ कीड़े के मुंह की बनावट ऐसी होती है जो पौधे की पतियों को चाट जाती है। इसमें क्लीनटेरीया कलुगी, हिटीकिया सरेटा प्रमुख हैं। वही अनामीला पोलीटा, कीफेट्रस, दीमक नीमटोडा कीड़े पौधे के लिए अधिक नुकसानदेह हैं। उक्त कीड़े पौधे की जड़ को हानि पहुंचाते हैं व उसके पोषक तत्वों को खींच लेते हैं। नतीजतन पौधे असमय सूख जाते हैं। इससे बचाव के लिए कीटनाशक दवाओं का प्रयोग जरूरी है।
कीटनाशक दवाएं-
कीटनाशक दवाओं में आल्ड्रीन पाउडर, बीएचएसी पाउडर, मीलथिओन, हेप्टाक्लोर, डीडी मिशचर, नीमागान आल्ड्रीकार्ब का छिड़काव कर पौधशालाओं को सुरक्षित रख सकते हैं।
कीटनाशक के प्रयोग में सावधानियां-
जितनी भी कीटनाशक दवाएं हैं सबके सब जहर हैं। ये दवाएं मनुष्य सहित दूसरे जीवों कष्ट व मृत्यु का कारण भी बन सकता है। इसके प्रयोग करने में सावधानियां जरूरी है।
-इसका प्रयोग प्रशिक्षित मजदूरों से ही कराना चाहिए।
-जहर को खाद्य पदाथरें व बच्चों के पहुंच से दूर रखे।
- कीटनाशक को प्रयोग में लाने व उसे भंडारित करने तथा फेंकते समय कीटनाशक संबंधित नियमों को देख ले।
-हमेशा लेबल को ठीक से पढ़े लें व प्रयोग संबंधित निर्देशों का पालन करें।
-जहर का प्रयोग करते समय धूमपान, आहार व पेय पदार्थ का सेवन नहीं करें।
- यदि किसी को विष के असर का लक्षण दिखाई दें तो तुरंत कार्य से हटा कर चिकित्सक को बुलाएं।