सप्तक्रांति एक्स. में महिला ने पुत्री जना
जाटी, मोतिहारी/चकिया : कहा जाता है कि जिसने दर्द दिया है, वहीं दर्द का निवारण भी करेगा। इसकी एक बानगी चलती ट्रेन में दिखी। लेबर पेन से तड़प रही सुनीता के साथ कोई चिकित्सक या नर्स नहीं थी। फिर भी उसने एक पुत्री को जन्म दिया। बगैर डाक्टर, बगैर दवा। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
गुरुवार को मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज रेल खंड पर चलती ट्रेन में सफर कर रहे मुसाफिरों की सुबह की शुरुआत एक नवजात की किलकारी से हुई। आनंद विहार से मुजफ्फरपुर जाने वाली डाउन 12558 सप्तक्रांति एक्सप्रेस की स्लीपर बोगी संख्या एस-13 में बर्थ संख्या 5 व 6 पर अपने भाई श्रवण कुमार के साथ यात्रा कर रही सुनीता ने बेतिया-सुगौली स्टेशन के बीच एक पुत्री को जन्म दिया। जिसे लोगों ने सप्तक्रांति पुत्री की संज्ञा दे दी। कोच कंडक्टर जेपी सिंह ने इसकी सूचना कंट्रोल को पास कर दी थी, पर बापूधाम मोतिहारी रेल अस्पताल के चिकित्सकों ने पीड़ा तड़प रही महिला को चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध नहीं करा सकी। स्टेशन अधीक्षक नरेन्द्र प्रसाद ने चकिया एसएस विनोद कुमार से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का आग्रह किया। इसके बाद चकिया स्टेशन पर रेफरल अस्पताल के चिकित्सकों से जच्चा-बच्चा को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई। बताते चलें कि सुनीता अपने भाई के साथ 1 जनवरी को आनंद विहार से मुजफ्फरपुर तक की यात्रा शुरू की थी। उसे मुजफ्फरपुर से सीतामढ़ी अपने मायके जाना था।
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'रेल अस्पताल के चिकित्सक के अवकाश पर रहने के कारण जच्चा-बच्चा को चकिया स्टेशन पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई।
नरेन्द्र प्रसाद, स्टेशन अधीक्षक बापूधाम'
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