माता-पिता का स्थान सर्वोच्च
मेरे पिता स्व. विमलकांत ठाकुर ने मुझे जीवन की राह दिखाई। खासकर समाज के साथ रहने की प्रेरणा दी। आज जो कुछ भी है, वह उन्हीं के आशीर्वाद का परिणाम है। उनके द्वारा दिए गए संस्कार से आज भी मैं संस्कारित हूं। सबकुछ उन्हीं की प्रेरणा से मिला है। उनके बताए मार्ग पर चलने व उनका स्मरण करने से आनंद की प्राप्ति होती है।
दरभंगा । मेरे पिता स्व. विमलकांत ठाकुर ने मुझे जीवन की राह दिखाई। खासकर समाज के साथ रहने की प्रेरणा दी। आज जो कुछ भी है, वह उन्हीं के आशीर्वाद का परिणाम है। उनके द्वारा दिए गए संस्कार से आज भी मैं संस्कारित हूं। सबकुछ उन्हीं की प्रेरणा से मिला है। उनके बताए मार्ग पर चलने व उनका स्मरण करने से आनंद की प्राप्ति होती है। भारतीय संस्कृति में माता-पिता का स्थान सर्वोच्च माना गया है। वे देवता से बढ़कर होते हैं। पितृपक्ष में पूर्वजों का स्मरण करना हमारी परंपरा है। पितृपक्ष में पूर्वजों का स्मरण व तर्पण कर नई पीढ़ी को भी पूर्वजों का स्मरण करने की प्रेरणा दी जाती है। अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धाभाव दिखाने से हर मनुष्य का संबल बढ़ता है। हमें सदैव अपने पूर्वजों को स्मरण करना चाहिए। उनके आशीर्वाद से ही संतान के जीवन में संपूर्णता आती है।
डॉ. महानंद ठाकुर।