कुशेश्वरनाथ महादेव
जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में अवस्थित कुशेश्वरस्थान शिव मंदिर है।
दरभंगा। जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में अवस्थित कुशेश्वरस्थान शिव मंदिर को मिथिला का देवघर कहा जाता है। यह शिव मंदिर संपूर्ण मिथिलांचल का आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां सालोभर शिव भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना के साथ ही अन्य संस्कारों व मांगलिक कार्य के दौरान भी लोग महादेव से आशीर्वाद लेने आते हैं। तीन नदियों के मुहाने पर प्रकृति के बीच अवस्थित इस स्थान पर पहुंचने वाले भक्तों को शांति मिलती है।
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इतिहास
इस मंदिर का लंबा इतिहास है। इसके बारे में शिव पुराण में भी चर्चा है। कुछ लोग भगवान राम के पुत्र कुश से जोड़ते हैं तो कुछ लोग राजा कुशध्वज से। 1970 में इसका जीर्णोद्धार कराया गया था। इसके बारे में कई ¨कवदंतियां प्रचलित हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर यहां विशेष आयोजन होता है। माघ में यहां कावंरिया जलाभिषेक करते हैं। इस मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
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तैयारियां
शिव भक्ति के प्रमुख केंद्र मिथिला में भगवान शिव को लोग पूरे ही मनोयोग से पूजा-अर्चना करते हैं। उपासना के साथ ही जीनव शैली व विविध लोकाचार में भी शामिल भगवान शिव के लिए सावन में वैसे तो हर शिव मंदिर में व्यापक तैयारियां होती हैं। इस शिव मंदिर में भी सावन को लेकर तैयारियां की गई है। यहां उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए प्रशासनिक स्तर पर भी व्यापक तैयारी की गई है।
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कहते हैं पुजारी
मंदिर के पुजारी अमरनाथ झा कहते हैं कि यहां स्थापित भोलेनाथ की महिमा अपार है। यह उपासना के साथ ही साधना का भी बहुत बड़ा केंद्र रहा है। यहां अंकुरित शिव¨लग स्थापित है। यहां विराजमान भगवान शिव भक्तों की हर कामना पूर्ण करते हैं। जो भी सच्चे मन से जो भी मांगता है, वह पूरा होता है। सावन व सोमवारी को भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और भगवान शिव की कृपा भी उन्हें मिलती है।