इधर छूट रहे पसीने, उधर आ रहे सपने
नगर निगम चुनाव पर नजर सबकी है।
दरभंगा। नगर निगम चुनाव पर नजर सबकी है। थोड़ी भी राजनीति में रस लेने वाले हों या समाज के लिए कुछ कर दिया हो, सभी के लिए यह अवसर है। चुनावी अखाड़ा रहेगा और हर दर्जे के मैदान में अलग-अलग सियासी पहलवान होंगे। लेकिन, सियासी अखाड़े पर आरक्षण का रंग भरने के साथ ही अलग-अलग तस्वीर बनने व बिगड़ने लगी है। संशय व नि¨श्चतता के चुनावी अखाड़ा में उतरने वाले पहलवानों ने सपने देखने शुरू कर दिए हैं। निवर्तमान प्रतिनिधियों की परेशानी कुछ अलग ही है। खासकर उनकी परेशानी बढ़ी हुई है, जिनकी सीट पिछले चुनाव में आरक्षित थी। वहीं सामान्य सीट से चुनकर आने वाले पार्षद भी ¨चता में हैं। इसबार दंगल का शक्ल कुछ अलग होगा। सपना साकार होने के लिए कई सीढ़ीयों से चढ़ना होगा। आगामी चुनाव में आरक्षित सीटों की संख्या तो कायम रहेगी, लेकिन भूगोल बदला-बदला सा रहेगा। इस चुनावी दंगल में पहलवानों के बीच आजमाइश होना तय है। भले ही यह चुनाव गैरदलीय होगा, लेकिन नजर सियासी होगी। इस चुनाव पर राजनीतिक दलों की भी नजर होती है। सियासी पूंजी व कुनबाई गणित के आधार पर चुनावी दंगल होना तय है। वहीं महापौर का पद सामान्य महिला के आरक्षित होने के कारण चुनावी जंग का रंग कुछ अलग ही दिखने लगा है। यह दीगर बात है कि यह चुनाव मुद्दा से कहीं अधिक माद्दा के आधार पर लड़ा जाता है। वैसे राजनीति के आकाओं के लिए यह चुनाव धर्मसंकट पैदा करने वाला है। एक ही दल से कई कार्यकर्ता ताल ठोक रहे हैं। सभी को उम्मीद तो यही है कि आका का समर्थन उन्हें ही मिलेगा। स्थिति जो हो, अभी तो मूड कई लोगों ने बना लिया है कि वे दंगल में उतरेंगे। कई सियासी लोगों की नजर मेयर की कुर्सी पर है। वे वार्डों का गणित, भूगोल व समाजशास्त्र पढ़ रहे हैं। भले ही मेयर की कुर्सी पाने के लिए अर्थशास्त्र की भी आवश्यकता होगी, लेकिन अभी तो पहली सीढ़ी चढ़नी होगी। मतमलब, पहले पार्षद बनना होगा। इसके बाद मेयर के लिए 25 पार्षदों का समर्थन। 48 सदस्यीय दरभंगा नगर निगम में महिला पार्षदों की तादाद 24 होगी। तकरीबन ढाई लाख मतदाता 48 रहनुमाओं का चुनाव करेंगे। वैसे मतदाताओं का गणित 20 मार्च को मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के बाद साफ हो सकेगा।