निगम घोटालों की निगरानी से जांच कराने की मांग
नगर निगम के घोटालों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग अब तेज हो गई है।
दरभंगा । नगर निगम के घोटालों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग अब तेज हो गई है। पांच दिनों के बाद कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से पार्षदों में आक्रोश देखा जा रहा है। ऐसी स्थिति में पार्षदों ने होर्डिंग विज्ञापन, एडवांस व बाजार घोटालों की जांच निगरानी से कराने की मांग की है। निगम ने जो जांच कमेटी बनाई है उससे पार्षद संतुष्ट नहीं हैं। पार्षदों का कहना है कि जब जांच ही करानी है तो निगरानी से होनी चाहिए। इससे दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। अथवा निगम प्रशासन इसकी जांच जिला प्रशासन से कराए। अगर ऐसा नहीं होता है तो इसके खिलाफ पार्षदों ने आंदोलन करने की चेतावनी दी है। कई ने कहा है कि पूरे मामले की जांच कराने के लिए स्वयं निगरानी को पत्र लिखेंगे।
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नगर निगम के घोटाले से सभी दंग हैं। इसकी जांच को लेकर जो कमेटी बनाई गई है, वह लीपापोती के लिए बनी है। समान केटेगरी के पद पर रहने वाले कर्मी कैसे जांच कर सकते हैं। पार्षदों पर जब आरोप लगता है तो डीएम स्तर से जांच कराई जाती है तो इस मामले में क्यों नहीं प्रशासनिक स्तर पर जांच कराई जा रही है। दरअसल, पूरे मामले को खत्म करने में निगम प्रशासन के साथ-साथ कुछ पार्षद भी लगे हुए हैं। लेकिन, इसके खिलाफ आवाज बुलंद किया जाएगा।
अजय पासवान पूर्व मेयर सह पार्षद, वार्ड संख्या 45
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नगर निगम में वर्षों से वित्तीय अनियमितता का खेल खेला जा रहा है। हालांकि, विगत 9 वर्षों से इस खेल में कमी आई है। लेकिन, यह पूरी तरह से बंद नहीं हुआ। इसे रोकने के लिए सदन में कई बार सुझाव दिया गया। लेकिन, नगर आयुक्त, मेयर व उप मेयर ने उस दिशा में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। निगरानी की छापेमारी बाद भी निगम प्रशासन को कोई सबक नहीं मिला। हालात यह है कि दोषी कर्मियों पर कार्रवाई की जगह पुरस्कृत करने का काम किया गया है। सरकार को पत्र लिखकर सभी घोटालों की जांच करने की मांग की गई है। अगर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आंदोलन शुरू किया जाएगा।
प्रदीप गुप्ता
अध्यक्ष, वित्त वृद्धि समिति सह पार्षद, वार्ड संख्या 17
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हमेशा बोर्ड की बैठक में मेरे द्वारा घोटालों पर आवाज उठाया गया। लेकिन, हर बार हमारी बातों की अनदेखी कर दी गई। अगर समय रहते कार्रवाई की जाती तो आज इतना बड़ा घोटाला नहीं होता। कागजी खानापूर्ति के लिए निगम ने जांच कमेटी बनाई है। एक सप्ताह होने को है लेकिन, अभी तक जांच भी शुरू नहीं हुई है।
आशुतोष कुमार
पार्षद, वार्ड संख्या 47
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नगर निगम के अधिकारियों की मिली भगत से घोटालों का खेल खेला जा रहा है। बैठक में मेरे द्वारा इसके खिलाफ कई बार आवाज उठाई गई है। लेकिन, कोई सुनने को तैयार नहीं है। सभी घोटालों की जांच निगरानी से कराने की जरूरत है। इसके लिए में शपथ पत्र भी दाखिल करूंगा।
सुबोध प्रसाद पार्षद, वार्ड संख्या 11
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नगर निगम में जो घोटाले उजागर हुए हैं, उससे पार्षदों व शहर की काफी बदनामी हुई है। इसकी निष्पक्ष जांच निगरानी से ही संभव है। इसके लिए नगर आयुक्त को स्वयं पत्राचार करना चाहिए। साथ ही संबंधित दोषी कर्मियों की संपत्ति की जांच भी कराने की जरूरत है। अगर ऐसा होता है तो दिल्ली की तरह यहां भी कर्मियों के पास से करोड़ों की संपत्ति उजागर होगी।
फुजैल अहमद अंसारी पार्षद, वार्ड संख्या 33