कैशलेस व्यवस्था भारत के लिए बड़ी चुनौती
कैशलेस अर्थव्यवस्था स्कूली शिक्षकों की पहली पसंद है।
दरभंगा। कैशलेस अर्थव्यवस्था स्कूली शिक्षकों की पहली पसंद है। लेकिन उनका मानना है कि अभी हमारे समाज में इस व्यवस्था को लागू करने की आधारभूत संरचना का अभाव है तो मानसिकता भी नहीं है। विश्व के विकसित देश भी पूरी तरह कैशलेस नहीं हो पाये हैं। तो इस देश के लिए यह और कठिन चुनौती है। हां अगर कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा दिया जा रहा है तो इसका निश्चित रूप से स्वागत किया जाना चाहिए। सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का साफ मानना है कि अभी हमारा समाज कैशलेस व्यवस्था को साकार करने में न सक्षम है और ना ही इच्छुक है। इसका मतलब यह कतई नही कि कैशलेस अर्थव्यवस्था में कोई दोष है। यह व्यवस्था अच्छी है। इससे अपराध भी घटेगा और भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी। लेकिन जहां साक्षरता दर 60 प्रतिशत के आसपास घूमती हो वहां इस व्यवस्था को लागू करने से पूर्व बहुत कुछ सोचना पड़ेगा। यहां प्रस्तुत हैँ कैशलेस व्यवस्था पर शिक्षकों की राय :
कैशलेस अर्थव्यवस्था के गुण ही गुण है। इससे घुसखोरी, भ्रष्टाचार और छीना झपटी से लोगों को निजात मिलेगी। रुपये की छपाई का खर्च बचेगा और कागज निर्माण के लिए पेड़ों का कटना भी कम होगा। लेकिन भारत विशेष रूप से बिहार जैसे राज्य की स्थिति देखने पर लगेगा कि यह सोचना भी अभी जल्द बाजी है। 20 प्रतिाश्त से अधिक लोगों की पहुंच बैंक तक नहीं है। 25 प्रतिशत लोग आज भी अंगूठा लगा रहे है तो उन्हें कैशलेस कैसे किया जा सकता है।
संजीव कुमार मिश्र
प्रधानाध्यापक, आदर्श मध्य विद्यालय
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कैशलेस अर्थव्यवस्था से सुंदर नारा दूसरा कोई हो भी नही सकता। वह मूर्ख ही होगा जो इसका विरोध करेगा। लेकिन यह भी देखना होगा कि इस व्यवस्था को लागू करने के लिए हमारे पास आधारभूत संरचना है। डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड संचालन के लिए लोगों में कौशल है। गांवों में जहां आज भी धान के बदले लोग सरसों तेल खरीद रहे हैं उनकी मानसिकता कैसी है।
प्रेमलता कुमारी, शिक्षिका, आदर्श मध्य विद्यालय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कैशलेस का नारा बहुत सफल होगा, देश के लिए लाभदायक होगा अगर इसे सौ प्रतिशत लागू करने के लिए पहले वातावरण निर्माण किया जाये। लोगों को जागरूक किया जाय और कम से कम हर गांव में एक एटीएम और दो किमी की दूरी पर एक बैंक की शाखा स्थापित हो। लोग समझ नहीं पा रहे कि मोबाइल कैसे चलाएं। चुनाव के दौरान पीठासीन पदाधिकारियों को मतदान की स्थिति से अवगत कराने के लिए मैसेज करने का प्रशिक्षण दिया गया था।
मो. जावेद अख्तर
शिक्षक, उवि कोलहंटा पटोरी
देश की दशा दिशा बदलने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कैशलेस अर्थ व्यवस्था की ओर बढने का प्रयास सराहनीय है। इसके तहत भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में सरकार सफल होगी तो आज हमारे लिए सबसे बड़ा रोग बना हुआ है। लेकिन इसके साथ सरकार को व्यवस्था भी करनी होगी। सौ प्रतिशत साक्षरता का लक्ष्य प्राप्त किये बिना कैशलेस अर्थ व्यवस्था का सपना दिवा स्वप्न साबित होगा।
मिथिलेश कुमार, शिक्षक
मवि, सुसाड़ी, बहेड़ी
पहले लोगों को जागरूक किया जाये। बड़ी आबादी गांव और कस्बों में रहती है उन्हें ई भुगतान का तरीका सिखाया जाय। मोबाइल से रुपये लेने और देने का प्रशिक्षण दें तब कैशलेस व्यवस्था लागू करें।
अनवार अहमद, प्रधानाध्यापक
मवि, चंदनपट्टी