कागजों पर ही होती रही है शहर की सफाई
दरभंगा। सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने की बात तो दूर, लोगों के पैसे से भी शहर को सुंदर बनाने में
दरभंगा। सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने की बात तो दूर, लोगों के पैसे से भी शहर को सुंदर बनाने में नगर निगम पूरी तरह से असक्षम साबित हुआ है। पिछले कई वर्षेां से संसाधनों का रोना रो रहे निगम ने करोड़ों रुपये की लागत से आधुनिक उपकरणों की खरीददारी की। लेकिन स्थिति यह है कि इनमें से बहुत सारे उपकरण शहर की सड़कों पर अभी तक नजर नहीं आए है। इसके पीछे जो सबसे बड़ा कारण है वह ये है कि अगर निगम इन उपकरणों के जरिए सफाई कार्य करेगा, तो मजदूरों के नाम पर पैसे की उगाही कहां से होगी। शहरवासी ने ये बातें दैनिक जागरण की ओर से चलाए जा रहे अभियान अपना शहर, अपना नजरिया के दौरान कहीं। शहरवासियों का मानना है कि निगम अगर अपने कर्तव्यों का सही ढ़ग से निर्वहन करता तो आज ये हालात पैदा नहीं होते। लोगों का कहना है कि केवल कागजी खानापूर्ति कर शहर की सफाई कार्य पूरा कर लिया जाता है। शहर में कहीं भी चले जाएं, चारों तरफ गंदगी का अंबार नजर आता है। आखिर जब चारों तरफ गंदगी पसरी ही रहती है तो सफाई का कार्य कब किया जाता है। दूसरी बात यह है कि साफ-सफाई के नाम पर महीने में लाखों रुपये का तेल का खेल किया जाता है। इनमें न केवल कर्मचारी, बल्कि पदाधिकारी भी शामिल है। कादिराबाद के सोहन चौधरी की मानें तो पिछले दस वर्षेां के अंदर नगर निगम ने कोई भी ऐसा काम नहीं किया, जो लोगों के लिए सुविधा साबित हुई हो। बेला के संतोष कुमार ने बताया कि समस्याएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है, न तो नगर निगम प्रशासन को न तो मेयर को ही इसकी ¨चता है। भटियार सराय के उमेश सहनी ने बताया कि सरकारी पैसा का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है। केवल जनता से पैसा वसूलने का एक सूत्रीय कार्यक्रम निगम चला रहा है। दुमदुमा निवासी राम मनोहर ¨सह की मानें तो जब शहर का मेयर ही बेकार हो तो शहर में सफाई कार्य कैसे चलेगा।
कहते है लोग
अगर नगर निगम चाहें तो कुछ ही महीनों में सफाई व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी। निगम के पास केवल इच्छाशक्ति का अभाव है। केवल घोषणा मात्र से शहर की सफाई संभव नहीं है। निगम को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
संजय ¨सह।
सालों भर की गंदगी को एक दिन में साफ नहीं किया जा सकता। दरभंगा नगर निगम पूरे साल की सफाई एक ही दिन में करना चाहता है। आप देख सकते है कि बजट में सफाई के नाम पर कितनी राशि का प्रावधान किया जाता है। फिर इतनी राशि कहां जाती है।
अमित कुमार।
नगर निगम को शहर की समुचित सफाई को लेकर एक मास्टर प्लान बनाना होगा। इसके अनुरुप काम करने पर शहर को साफ-सुथरा रखा जा सकता है। महानगरों की तर्ज पर सफाई व्यवस्था क्यों नहीं की जाती है। आखिर वहां की आबादी यहां से कहीं ज्यादा है।
अतुल राज।
नगर निगम के कामों की समय-समय पर समीक्षा होनी चाहिए। इसके लिए सरकार के स्तर पर एक अनुश्रवण कमेटी का गठन अति-आवश्यक है। चुनाव के समय मीठी-मीठी बातों में आकर जनता फंस जाती है। बाद में पूरे पांच साल तक रोना पड़ता है।
राहुल कुमार।
नगर निगम प्रशासन की ओर से सरकारी राशि का दुरुपयोग किया जाता रहा है। अगर इस पैसा का सही ढ़ग से उपयोग किया जाए तो शहर को स्वर्ग बनाया जा सकता है। लेकिन ऐसा कोई नहीं चाहता। सब सरकारी राशि के बंदरबांट में लगे हुए है।
मिहिर मिश्रा।
न तो पार्षद और न ही नगर निगम प्रशासन को शहर की ¨चता है। यहां सब लूट-खसोट में लगे हुए है। एसी दफ्तर में बैठकर और ऑफिस अच्छा बना लेने मात्र से शहर को सुंदर नहीं बनाया जा सकता है। अतिक्रमण की समस्या से तो खुद नगर निगम ही परेशान है। शहर का क्या होगा।
निशांत ¨सह हीरा।