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शिक्षा व शोध के साथ समाज से जुड़ा विवि

दरभंगा। मान्यता है कि विश्वविद्यालय का कार्य मात्र शिक्षा और शोध है। लेकिन, शिक्षा और शोध के साथ-

By Edited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 01:39 AM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 05:38 PM (IST)
शिक्षा व शोध के साथ समाज से जुड़ा विवि

दरभंगा। मान्यता है कि विश्वविद्यालय का कार्य मात्र शिक्षा और शोध है। लेकिन, शिक्षा और शोध के साथ-साथ समुदाय को भी जोड़ने का काम विश्वविद्यालय का है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में बुधवार को जरा विज्ञान व जरा चिकित्सा विज्ञान पाठ्यक्रम की शुरूआत के मौके पर कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा ने उपरोक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखकर विश्वविद्यालय ने जरा विज्ञान तथा जरा चिकित्सा विज्ञान नामक पाठ्यक्रम की शुरूआत की है। ताकि विवि समाज से जुड़ सके। उन्होंने कहा कि एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम जरा चिकित्सा विज्ञान में तथा एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स जरा विज्ञान में पाठ्यक्रम की शुरूआत की जाएगी। इसमें नामांकन 10 दिसंबर से व पढ़ाई 3 फरवरी 2017 से प्रारम्भ होगी। उन्होंने इस पाठ्यक्रम के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि सरकार प्रत्येक जिला में वृद्धाश्रम खोलने जा रही है। इसके लिए काम प्रारम्भ है। इससे उत्तीर्ण छात्रों को इसमें रोजगार उपलब्ध होगा। वृद्धाश्रम में प्रशिक्षित केयर प्रोवाइडर की जरूरत है। जिस कमी को यहां से उत्तीर्ण छात्र पूरा कर सकते हैं। कुलपति प्रो. कुशवाहा ने कहा कि मेरा वजूद माता-पिता से है। बुजूर्गों की सेवा नहीं करेगें तो सामाजिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाएगी। इस पाठ्यक्रम की शुरूआत उन्होंने दिल से की है। समाज सेविका डा. सीमा कुमार ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक को अलग-थलग करने की जरूरत नहीं है। हमें उससे जुड़ना है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों को धरती से जोड़े। लेकिन, वर्तमान में अभिभावक अपने बच्चों को उड़ना सीखाते है। वह भी हो। आरम्भ में जरा विज्ञान एवं जरा चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक डा. भवेश्वर ¨सह ने पाठ्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी।-

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---------विवि ने किया उल्लेखनीय कार्य : डा. गुप्त

दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय के मेडिसीन विभागके पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. एके गुप्ता ने कहा कि इस पाठ्यक्रम की शुरूआत की चर्चा बहुत दिनों से होती रही है। लेकिन, इस पर बहुत कार्य नहीं हुआ। विवि ने इसकी शुरूआत कर एक उल्लेखनीय कार्य किया है। इसके लिए कुलपति बधाई के पात्र है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों से उनके बारे में बात ना कर उनसे बात करें। उन्होंने कहा कि बुढ़ापा में गिरने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है। उसका मुख्य कारण अधिक दवा का सेवन होता है। बुढ़ापा में आत्मविश्वास जगाना होगा।

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मील का पत्थर साबित होगा पाठयक्रम महिला प्रोद्योगिकी संस्थान के निदेशक डा. एम निहाल ने कहा कि यह पाठ्यक्रम विवि के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। माता-पिताके साथ रहकर जो ज्ञान प्राप्त होता है वह किसी भी पुस्तक को पढ़कर नहीं प्राप्त हो सकता है। शरीर में हो रहे परिवर्तन का नतीजा बुढ़ापा है। बुढ़ापे में कुछ ऐसी बीमारी होती है उसकी जानकारी नहीं हो पाती है। यह पाठ्यक्रम उसकी जानकारी तथा उसके लक्षण को बता सकता है।


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