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बैठे थे शिक्षक, घूम रहे थे बच्चे

दरभगा। शिक्षा में सुधार के लिए राज्य व केंद्र के स्तर पर यूं तो कई योजनाएं संचालित हैं। बावजूद शिक्ष

By Edited By: Published: Mon, 31 Aug 2015 12:10 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2015 12:10 AM (IST)
बैठे थे शिक्षक, घूम रहे थे बच्चे

दरभगा। शिक्षा में सुधार के लिए राज्य व केंद्र के स्तर पर यूं तो कई योजनाएं संचालित हैं। बावजूद शिक्षा व्यवस्था में गुणात्मक सुधार नहीं हो रहा है। कहीं शिक्षक हैं तो छात्र नहीं, कहीं छात्र हैं तो शिक्षक नहीं। सरकारी स्कूलों में आधारभूत संरचनाओं का घोर अभाव है। जागरण की टीम ने रविवार को सरकारी स्कूलों का हाल जानने के लिए विधायक डॉ. इजहार अहमद के गांव बलिया स्थित मध्यविद्यालय उर्दू तथा मध्य विद्यालय बलिया ¨हदी का जायजा ली।

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--दस बजकर चौंतीस मिनट तक मध्य विद्यालय बलिया उर्दू में शिक्षकों दवारा शिक्षण कार्य शुरू नहीं किया गया था। 6 शिक्षक विद्यालय में आ चुके थे। शिक्षक कक्ष में एचएम् मो खुर्शीद आलम, जावेद आमद,गुलाफशा,शाजदा खातून, रजिया तवस्सुम व सतीश कुमार झा बैठे थे। कुछ छात्र परिसर में इधर-उधर घूम रहे थे तो कुछ छात्र वर्ग कक्ष में शिक्षक के आने की इन्तजार कर रहे थे।

---10:45 बजे शिक्षिका नासनी फिरदोश जागरण टीम के आने की सूचना पर विद्यालय के वर्ग कक्ष में जाकर बैठ गईं। 11 बजे तक वर्ग प्रारम्भ नहीं हुआ था।

---11:10 बजे वर्ग चार में शिक्षिका गुलाफशां छह बच्चे को पढ़ाने में लगी थीं। वर्ग पांच में तीन छात्रा शिक्षक के प्रतीक्षा में बैठी थी। वहीं वर्ग एक में दस छात्र-छात्राएं,वर्ग दो में पांच छात्र -छात्राएं,वर्ग तीन में पन्द्रह छात्र-छात्रएं,वर्ग छह में 8 छात्र-छात्राएं, वर्ग सात में 20 व वर्ग आठ में 14 छात्र-छात्राएं की उपस्थिति देखी गयी। वर्ग दो व तीन के छात्र-छात्राओं को एक ही वर्ग कक्ष में दो शिक्षिका बेंच के अभाव में फर्श पर बैठा कर पढ़ाने की औपचारिकता पूरा कर रही थी। विद्यालय के आठ वर्ग कक्ष में चार, वर्ग कक्ष छात्र-छात्राएं विहीन पड़े थे। बेंच डेस्क नहीं रहने से छात्र जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर थे। छात्र-छात्राएं व ग्रामीणों ने बताया कि छात्रों की अधिक उपस्थिति दिखाकर बच्चों के मध्याह्न भोजन का गोलमाल प्रधानाध्यापक द्वारा कर लिया जाता है। छात्रों की उपस्थिति नग्न रहती है फिर भी सैकड़ों में छात्रों की उपस्थति बनाई जाती है। छात्रा आलिया परवीन, सबीला परवीन तहसीन परवीण,सान्या परवीन,आयशा परवीन,रुबाना परवीन,मौली परवीन ने दबी जुबान से बताई कि मध्याह्न भोजन मेनू के अनुसार नहीं दिया जाता है। पोशाक, छात्रवृति योजना की राशि के बारे में छात्रों को यह भी पता नहीं था कि इन्हें कितनी राशि दी गई हैं। ग्रामीण समसुल होदा व मो.इफ्तखार ने बताया कि मध्याह्न भोजन विद्यालय के शिक्षण कार्य को बाधित कर देता है। सरकार गरीब के बच्चों को जाहिल बना रही है। मध्याह्न भोजन बंद होने से ही शिक्षा में सुधार हो सकेगा। वहीं स्थानीय शिक्षिका के पदस्थापन विद्यालय में होने से समय से विद्यालय में शिक्षिका नहीं जाती है। जाती भी है तो उपस्थिति बनाकर घर लौट आती है। स्थानीय लोग स्थानीय शिक्षिका के विरुद्ध बोलने से लाचार रहते हैं। मो. आरिफ ने बताया कि शिक्षक नहीं पढ़ाते हैं इसीलिए छात्र विद्यालय जाना पसंद नहीं करते हैं। प्रधानाध्यापक खुर्शीद आलम ने बताया कि विद्यालय में परिसर नहीं रहने के कारण छात्रों को खेलन में कठिनाई होती है। बच्चे का बौद्धिक विकास नहीं हो पाता है। पोशाक ,छात्रवृति योजना की राशि का वितरण छात्रों के बीच किया गया है। ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोप गलत बताते हुए कहा कि मध्याह्न भोजन के समय छात्रों की उपस्थिति अधिक बढ़ जाती है।

कक्षों में झूल रहे थे ताले

11:15 बजे मध्य विद्यालय बलिया ¨हदी पहुंचने पर अधिकांश वर्ग कक्ष में ताले झूल रहे थे। छात्रों की उपस्थति काफी कम थी। निचली मंजिल के सभी पांच कमरे बंद थे। उपर के एक कमरे में वर्ग सात एवं आठ के 51 छात्र-छात्राओं को शिक्षक उदयशंकर राय पढ़ा रहे थे। उसी मंजिल पर वर्ग छह के पच्चास छात्रों को एचएम मो. शहनवाज पढ़ा रहे थे।

कहते हैं पदाधिकारी : बीईओ शालिक राम शर्मा ने बताया कि विकास व रखरखाव मद की राशि का वाउचर विद्यालय से लिया जाता है। इसमें फर्जी वाउचर रहने पर उसकी जांच कर विद्यालय के प्रधान पर कार्रवाई की जाएगी। विद्यालय से अनुपस्थित शिक्षक का एक दिन का वेतन की कटौती करते हुए स्पष्टीकरण पूछा जाएगा। वहीं विद्यालय के प्रधानाध्यापक से विद्यालय की कुव्यवस्था पर स्पष्टीकारण पूछा जाएगा।

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