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बाटम ::: पुलिस की बड़ी पहल, नशामुक्ति पर जोर

दरभंगा। युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त से बचाने के लिए पुलिस बड़ी पहल शुरू करने जा रही है। दरअसल, उसका म

By Edited By: Published: Mon, 31 Aug 2015 12:00 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2015 12:00 AM (IST)
बाटम ::: पुलिस की बड़ी पहल, नशामुक्ति पर जोर

दरभंगा। युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त से बचाने के लिए पुलिस बड़ी पहल शुरू करने जा रही है। दरअसल, उसका मानना है कि लड़कियों व महिलाओं के साथ छेड़खानी की घटना हो या लूटपाट, चोरी-डकैती की वारदात इन सब के पीछे नशे की लत एक बड़ा कारण है। नए एएसपी दिलनवाज अहमद ने कहा कि युवा पीढ़ी को नशे के दलदल से निकालने के लिए समाज के हर तबके को आगे आना होगा। पुलिस की अपनी कुछ रणनीतियां हैं, जिनपर काम शुरू हो चुका है। मसलन, सबसे पहले युवा पीढ़ी को नशे का आदी बनाने वाले कारणों की पड़ताल की जाएगी व रोकथाम की दिशा में स्वास्थ्य महकमा, सामाजिक संगठन, जनप्रतिनिध, मीडिया के साथ मिलकर हर संभव समाधान ढूंढा जाएगा। युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आकर अपना भविष्य दांव पर लगा रही है। कफ सिरप कोरेक्स, चोको और इसकफ जैसी दवाओं का नशे के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। सिनेमा व टीवी धारावाहिकों में मद्यपान के ²श्यों का जबरदस्त असर किशोरों पर हो रहा है। शासन स्तर पर नशारोधी कानूनों जिसमें यातायात, आवकारी व विक्रय से संबंधित कानून हैं, उसका कड़ाई से पालन आवश्यक है ताकि देश का भविष्य सुरक्षित रह सके।

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बदमाशी में पकड़े गए अधिकांश युवा ड्रग एडिक्ट

पुलिस अपनी तफ्तीश में इस नतीजे पर पहुंची है कि हर तरह के क्राइम के पीछे नशे की लत एक बड़ा कारण है। जो लोग खासकर किसी भी मामले में पकड़े गए युवाओं में अधिकांश ड्रग एडिक्ट निकले हैं। छेड़खानी की घटना हो या चोरी-छीनतई जैसी घटनाएं इन सबके पीछे नशे की लत ही सामने आई हैं। नशे की जरूरतें पूरी करने के लिए युवा अपराध की ओर विमुख हो रहे हैं। हाल की घटनाओं में भी ये बातें सामने आई हैं। राह चलती लड़कियों व महिलाओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं खासकर इन्हीं कारणों से हो रही हैं। दरअसल, नशे में होने के चलते ऐसे लोगों को खुद का होश नहीं रहता और गलती कर बैठने के बाद पकड़े जाने पर अफसोस जताने लग जाते हैं।

कार्रवाई तो दूर जांच में भी सुस्ती

-स्वास्थ्य विभाग ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया। कार्रवाई तो दूर अधिकारी जांच के लिए भी नहीं निकलते। ड्रग इंस्पेक्टर खुद भी इस मामले की जांच-पड़ताल करते नहीं दिखते।

-बड़े पैमाने पर युवा सर्दी, खांसी से निजात दिलाने वाले कोरेक्स सिरप, चोको आदि का इस्तेमाल नशे के रूप में कर रहे हैं।

-कई बार ऐसे केस सामने भी आ चुके हैं।

-13-14 साल के बच्चे भी इस नशे को अपना रहे।

-इस तरह की दवाएं लोगों को डॉक्टर की पर्ची के बना भी मिल जाती है। डॉक्टर की पर्ची बगैर तो कोई भी दवा नहीं देने का नियम है, जिसका पालन नहीं होता।

-छोटे बच्चे बोनफिक्स, बोमफिक्स, आयोडेक्स, अमृतांजन आदि को नशे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ बच्चे इन दवाओं को ब्रेड के साथ खाने में भी उपयोग करते हैं।

- तालाब, सुनसान जगहों में बच्चे झुंड में नशा करते मिलते हैं।

-दवा दुकानदारों को नोटिस थमाया जाएगा। पता चला है कि डॉक्टरी पर्ची के बगैर युवा पीढ़ी यहां तक कि स्कूली बच्चों को कफ सिरप कोरेक्स,चोको और इसकफ खुलेआम बेचा जा रहा है।

महंगी शराब है कारण

लोगों का कहना है कि शराब के रेट में इजाफा होने से बच्चे व युवा सस्ते नशा की ओर बढ़ रहे हैं। शराब से आधी कीमत पर ही सिरप, बोनफिक्स, आयोडेक्स मिल जाते हैं। साथ ही नशा भी शराब से ज्यादा होता है। जानकार बताते है कि इन सिरप का सेवन करने से लगभग दो सौ मिली लीटर शराब के बराबर नशा होता है। मुंह से शराब जैसी दुर्गंध भी नहीं आती।ये नशा स्वास्थ्य के लिए घातक है, फिर भी युवा इसका सेवन कर रहे।

फोटो : 30 डीआरजी 7

''देश की नई पौध को नशे जैसे सामाजिक बुराई से बचाने के लिए पुलिस प्रशासन के साथ-साथ समाज एवं माता-पिता को भी संवेदनशील रूख अपनाना होगा। मीडिया की भूमिका भी काफी अहम है। इस दिशा में उन्हें अपने बच्चों को पर्याप्त समय देना होगा तथा उनके मसलों पर खुलकर चर्चा करके समाधान करना आवश्यक है। इसके अलावा नशामुक्ति कार्यक्रमों के द्वारा भी इस बुराई पर अंकुश लगाया जा सकता है। पुलिस प्रशासन ने इस दिशा में पहल शुरू कर दिया है।''

दिलनवाज अहमद

एएसपी, दरभंगा


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