दहशत में डूबे लोग, हर ओर मची भगदड़
जासं, दरभंगा : शनिवार की दोपहर 11.41 बजे फिर धरती डोल गई। जिले में भूकंप के पांच झटके महसूस किए गए
जासं, दरभंगा : शनिवार की दोपहर 11.41 बजे फिर धरती डोल गई। जिले में भूकंप के पांच झटके महसूस किए गए। धरती डोली और लोग सिहर उठे। जो जहां थे खुले मैदान की तरफ निकल भागे। चारों ओर अफरातफरी का माहौल कायम हो गया। लोग घरों से सड़कों पर निकल आए। काफी देर तक लोगों के चेहरे पर हवाइयां उड़ती रही। दोबारा भूकंप आने की संभावना से सहमे लोग घरों में लौटे भी तो आशंका से भरे। हल्की सी आवाज पर चौंक उठते। कोई बातचीत में मशगूल तो कोई टीवी देख रहे थे। अचानक कुर्सी, टेबल, चौकी के साथ घर की दीवारें कांप उठी। लोग बदहवास हो उठे और बाल-बच्चों के साथ भागे। पल भर में ही चारों ओर से भूकंप-भूकंप का शोर मचने लगा। देखते ही देखते सभी जगह सड़कों पर लोग उतर आए। जिला मुख्यालय के साथ ही ¨सहवाड़ा, हायाघाट, केवटी, जाले, मनीगाछी, बिरौल, बेनीपुर, हनुमाननगर आदि प्रखंडों में भी झटके महसूस किए गए।
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1988 व 2011 की याद ताजा
भूकंप की अवधि हर व्यक्ति को अंदर तक हिला गई। इसने आज से 26 साल पहले खौफनाक मंजर लेकर आई 21 अगस्त 1988 की सुबह की याद ताजा कर दी। उस दिन सुबह करीब 4.40 बजे भीषण भूकंप ने दरभंगा के नक्शे को बदल दिया था। हजारों घर ध्वस्त हो गए थे। जगह-जगह धरती से पानी व बालू निकलने लगा। स्थानीय किलाघाट स्थित मदरसा-भवन के जमींदोज होने से उसमें दब कर एक साथ सात बच्चों की मौत हो गई थी। इसके अलावा सैकड़ों घायल हो गए तो बहुतेरे काल-कवलित हुए। डीएमसीएच चीखो-पुकार में डूब गया था। आज आए भूकंप से अतीत की याद ने एक बार फिर से लोगों के रोंगटे खड़े कर दिए। फिर 18 सितंबर 2011 की रात 9 बजे ही झटका आया था। इसमें तीन लोगों की मौत भी हुई थी। आधा दर्जन लोग जख्मी हुए थे। बीते वर्ष 18 दिसंबर को हल्के झटके ने झकझोर दिया था।
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अब तो चेतिए, बनाइए भूकंप रोधी मकान
दरभंगा : शनिवार को जैसे ही अहसास हुआ कि भूकंप आया है, लोग घरों से निकलकर भागे। बहुमंजिली इमारतों से भी भागने में लोगों ने देर नहीं की। थोड़ी देर के लिए ऐसा लगा कि पूरा दरभंगा घरों से बाहर आ गया है। भय के कारण लोग लंबे समय तक घरों में जाने से परहेज करते रहे। कुछ मिनट के लिए ही सही, अधिकतर लोगों में भूकंप के साथ अगली पीढ़ी के लिए सुरक्षित भूकंपरोधी मकान बनाने पर चर्चा होती रही। दरभंगा में रहना है तो ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है कि अपना जिला सबसे खतरनाक जोन में शुमार होता है। हर जगह तेजी से मकान बन रहे हैं। रोज ही नए मकान तैयार हो रहे हैं। शहर में इसकी रफ्तार काफी तेज है। जहां कल तक जमीन खाली थी वहां आज कालोनी बस चुकी है। आलीशान भवन बनाने की होड़ सी लगी है, लेकिन इनमें से शायद ही कोई यह सोचकर मकान बना रहा हो कि दरभंगा भूकंप की ²ष्टि से'हाई रिस्क जोन' है।
वर्षों बाद महसूस किए गए भूकंप के झटकों ने इस मुद्दे पर चर्चा की जमीन तैयार कर दी है। जानकारों के मुताबिक मकान की सुंदरता निखारने के लिए तत्पर लोग भूकंप से बचाव को तनिक भी तवज्जो नहीं दे रहे। नगर निगम भी इसको लेकर संजीदा नहीं है। नक्शा पास करने का अधिकार चुने हुए आर्किटेक्ट को दे दिया गया है। इस पर भी निगम की निगहबानी नहीं है, जबकि इसबार आया भूकंप आगाह कर गया है कि अभी भी चेतें, वरना वर्ष 1988 व 2011 की घटना फिर से दोहरा सकती है। हद तो यह कि यहां भूकंपमापी यंत्र तक नहीं है।