एसएफसी की लापरवाही से 3.15 लाख क्विंटल खाद्यान्न लैप्स
विनय कुमार, दरभंगा : एसएफसी की लापरवाही व प्रत्येक माह शत प्रतिशत खाद्यान्न का उठाव नहीं किए जाने के
विनय कुमार, दरभंगा : एसएफसी की लापरवाही व प्रत्येक माह शत प्रतिशत खाद्यान्न का उठाव नहीं किए जाने के कारण जिले में मार्च से अक्टूबर 2014 तक गरीबों का 3 लाख 15 हजार 400 क्विंटल खाद्यान्न लैप्स कर गया। लैप्स खाद्यान्न अंत्योदय व पीएचएस योजना का बताया जाता है।
एफसीआई कार्यालय सूत्रों के अनुसार एसएफसी अभी फरवरी 2015 के खाद्यान्न का उठाव कर रहा है। जबकि, डीलरों को नवम्बर 2014 का खाद्यान्न आवंटित किया जा रहा है। डीलरों की एसएफसी के यहां जनवरी तक के खाद्यान्न की राशि जमा है। जानकारी के मुताबिक, खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत पीएचएच योजना का मार्च से लेकर अक्टूबर 2014 तक जिले को आवंटित खाद्यान्न का पूरा उठाव नहीं किया गया।
लैप्स खाद्यान्न का व्योरा
--जुलाई 2014 में अंत्योदय योजना के तहत 7103.24 क्विंटल गेहूं।
--अगस्त 2014 में 1321.33 क्विंटल गेहूं व 1379.82 क्विंटल चावल।
इसी प्रकार पीएचएस योजना के तहत मार्च 2014 में 6115 क्विंटल गेहूं व 8992.98 क्विंटल चावल।
-- अप्रैल 2014 में 8229.74 क्विंटल चावल।
--मई 2014 में 21722.39 क्विंटल गेहूं व 19066.17 क्विंटल चावल।
-- जून में 2735.06 क्विंटल गेहूं व 6896.26 क्विंटल चावल।
--जुलाई में 28892.48 क्विंटल गेहूं व 58756.57 क्विंटल चावल।
--अगस्त में 28413.43 क्विंटल गेहूं व 39551.73 क्विंटल चावल। --सितंबर में 20 हजार क्विंटल गेहूं व 64226.88 क्विंटल चावल। -अक्टूबर 2014 में 37705.42 गेहूं व 30898.59 क्विंटल चावल।
एसएफसी सूत्रों के अनुसार तत्कालीन प्रबंधक मो. शहाबुद्दीन आजाद ने विभाग को शत प्रतिशत उठाव को लेकर प्रतिवेदन भेजा था। परंतु जब नए प्रबंधक अरविंद कुमार के प्रभार लेने के पश्चात योजनाओं में ब्रेकअप तोड़कर अलग-अलग किया गया तो पूरा मामला सामने आया। इस संबंध में एसएफसी प्रबंधक अरविंद ने कहा कि यह पूरा मामला उनके प्रभार लेने से पूर्व का है।
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प्रति माह आवंटित होने वाला खाद्यान्न
जिले को प्रत्येक माह अंत्योदय योजना के तहत12934.32 क्विंटल गेहूं व19401.48 क्विंटल चावल का आवंटन प्राप्त होता है। इसी प्रकार खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 60538.68 क्विंटल गेहूं व 90802.02 क्विंटल चावल का आवंटन प्राप्त होता है।
जिले के 1407 डीलरों द्वारा इन दोनों योजनाओं के तहत गरीबों के बीच खाद्यान्न का वितरण किया जाता है।