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नप चुनाव में दिख सकता है सीवरेज का आक्रोश

शहर के लोगों का भरोसा गंगा एक्शन प्लान के तहत पूर्व में किए गए सीवरेज के काम से टूट गया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 03:08 AM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 03:08 AM (IST)
नप चुनाव में दिख सकता है सीवरेज का आक्रोश
नप चुनाव में दिख सकता है सीवरेज का आक्रोश

बक्सर : शहर के लोगों का भरोसा गंगा एक्शन प्लान के तहत पूर्व में किए गए सीवरेज के काम से टूट गया है। बताया जाता है कि यह पिछले लगभग एक साल से बंद है। इधर, पूरा शहर नाली जाम की समस्या से त्रस्त है। नागरिकों का कहना है कि इस कमी की भरपाई इस बार के चुनाव में वे अपने मतों के अधिकार से करेंगे। इधर, एजेंसी ने निर्माण सामग्री के कीमतों में इजाफा का हवाला दे हाथ खड़े कर दिए हैं।

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जब शहर में सीवरेज का काम चल रहा था। उस समय कहा गया था कि एक तरफ से इसका काम होगा। वहीं, दूसरी तरफ से सड़क के गड्ढे भर उसे समतल कर दिया जायेगा। वास्तविकता यह है कि जहां काम हुआ है, उन रास्तों में आम नागरिकों के लिए मौत का कब्र आज भी खुदा हुआ है। पुराना अस्पातल रोड को ही ले तो यहां गजब की स्थिति पैदा हो गई है। सीवरेज के क्रम में खोदे जाने के कारण सड़क तो ऊबड़-खाबड़ हो ही गई है। इस रास्ते से गुजरने में नगर के लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नप सूत्रों के मुताबिक शहर में सीवरेज ट्रीटमेंट योजना की मंजूरी वर्ष 2011 में मिली। 2014 में पूरा होने वाली योजना में अभी तीस से पैंतीस फीसद ही काम हुआ है। उसके बाद से काम बंद है। निर्माण कंपनी भी शहर में दिखाई नहीं दे रही है। जगह-जगह पाइप डालने के लिए हुए गड्ढों में मिट्टी डालकर छोड़ दिया गया है। वर्ष 2013 में सासाराम से पत्थर की गिट्टी की निकासी बाधित हो गई। इससे निर्माण सामग्री की कीमतों में भारी इजाफा हो गया। सेवंदक ने कार्य से हाथ खड़े कर लिए। इसके बाद 52 करोड़ की प्रारंभिक योजना पर दोबारा 68 करोड़ की मंजूरी मिली। इसके बाद ठेकेदार ने कार्य शुरू कराया। लेकिन, महज तीन माह कार्य करने के बाद उसने फिर से हाथ खड़े कर दिये। इस बीच योजना एक साल तक लंबित रही। अधिकारियों ने मार्च 2015 तक कार्य समाप्त करने का भरोसा दिलाया। इस बार सरकार ने कार्य राशि को बढ़ा कर 76 हजार करोड़ कर दिया। इसके बाद भी कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। इस संबंध में नप कार्यपालक पदाधिकारी अनिल कुमार कुछ भी बताने से इंकार कर रहे है। जबकि, कार्य एजेंसी को नप ने ही कार्य की अनुमति दी थी।


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