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सेंट्रल जेल में कुख्यात शेरू-संदीप ने काटी नस

बक्सर : केन्द्रीय कारा में फांसी का सजायाफ्ता कैदी ओकारनाथ ¨सह उर्फ शेरू ¨सह व कुख्यात संद

By Edited By: Published: Wed, 31 Aug 2016 02:50 AM (IST)Updated: Wed, 31 Aug 2016 02:50 AM (IST)
सेंट्रल जेल में कुख्यात शेरू-संदीप ने काटी नस

बक्सर : केन्द्रीय कारा में फांसी का सजायाफ्ता कैदी ओकारनाथ ¨सह उर्फ शेरू ¨सह व कुख्यात संदीप यादव ने सोमवार की देर रात अपने हाथ की नस काट आत्महत्या का प्रयास किया। सेल नम्बर एक में बंद दोनों कैदियों के हाथ से खून निकलता देख सुरक्षा कर्मियों के होश उड़ गये। कारा प्रशासन ने आनन-फानन में दोनों को कारा के ही अंदर उपचार केन्द्र पर पहुंचाया।

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जहां चिकित्सकों ने उपचार कर दोनों कैदियों के हाथ से बहते खून को रोक दिया। फिलहाल वे खतरे से बाहर बताए जा रहे है। हालांकि, घटना की वजह का अभी खुलासा नहीं हो पाया है। घटना पर नगर थाना प्रभारी राघव दयाल ने बताया कि शेरू व संदीप के द्वारा हाथ काट लेने की सूचना मिली थी। हालांकि, पिछले तीन दिनों से जेल में कैदी जेल प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। सूत्रों की मानें तो उन लोगों ने कारा प्रशासन पर मनमानी व प्रताड़ना का आरोप लगा रहे थे। वहीं, कारा प्रशासन का कहना है कि कारा की विधि व्यवस्था दुरुस्त रखने में किसी को तकलीफ हो रही है तो इसके लिए क्या किया जा सकता है। कारा में जितने भी लोग बंद है वे किसी न किसी जुर्म में कोर्ट व पुलिस द्वारा भेजे गये है। इसमें कारा प्रशासन उनकी देख-रेख भर के लिए है। इस बीच कैदी व बंदियों ने मिल कर गुटबाजी शुरु कर दिया है। जिससे कारा प्रशासन पर वे अपना दबाव बना सके। लेकिन, कारा प्रशासन उनके प्रभाव में नहीं आ रहा। ऐसे में वे उससे अपनी बात मनवाने हेतु उन लोगों ने दूसरा रवैया अपना लिया है।

बीमारी का बहाना बला फरार हुआ था कुबेर

जेल में शेरू व संदीप के नस काटे जाने की घटना के बाद पुलिस भी सतर्क हो गयी है। दरअसल, बीमारी का दिखावा कर पंद्रह अगस्त को पटना के आइजीआइएमएस से कुख्यात अपराधी कुबेर मिश्र फरार हो चुका है। वह कारा से बाहर था इस वजह से उसे फरार होने का मौका मिला। शेरू व संदीप के इस हथकंडे के पीछे भी वही रणनीति कारा प्रशासन मान रहा है। वह लगातार पिछले महीने भर से वह किसी न किसी रूप में कारा के सुरक्षा कर्मी सहित अन्य बंदियों के साथ उलझता रहा है। उस पर कारा में आने वाले नये बंदियों व कैदियों को बरगलाने का भी आरोप है। जिससे वह अपनी मर्जी के मुताबिक कारा में रह सके। हालांकि, इस मामले में कैदी व कारा प्रशासन का अपने-अपने तर्क हैं।

कारा प्रशासन ने दी सुरक्षा की दलील

कारा प्रशासन विधि व्यवस्था को दुरुस्त रखने की दलील दे रहा है। वहीं दूसरी तरफ कैदी उसके द्वारा दिये जाने वाले भोजन सहित अन्य सुविधाओं पर मनमाने रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे है। हालांकि, इसमें माजरा क्या है कुछ भी खुल कर सामने नहीं आ रहा है। कैदी सोशल नेटवर्क के माध्यम से मीडिया तक कारा से बाहर अपनी बात को पहुंचा रहे हैं। जिससे कारा की सुरक्षा व्यवस्था के दावे की पोल खुल रही है। इस मामले में कारा प्रशासन खुल कर कुछ भी कहने से बचना चाह रहा है। लेकिन, जेल मे बने लगातार तनाव पूर्ण माहौल ने उसके कार्य शैली पर सवालिया निशान लगा दिया।

बयान :

केन्द्रीय कारा में लगभग आठ सौ कैदी है। उनके बीच छोटे-मोटे विवाद प्रतिदिन होते रहते हैं। यह कोई बड़ी बात नहीं है।एसके चौधरी, कारा अधीक्षक, सेंट्रल जेल।


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