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अमावस्या स्नान आज, दूरदराज से जुटे श्रद्धालु

बक्सर। आस्था की नगरी बक्सर में मौनी अमावस्या पर आज लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान कर पावन होंगे। ख

By Edited By: Published: Mon, 08 Feb 2016 03:07 AM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2016 03:07 AM (IST)
अमावस्या स्नान आज, दूरदराज से जुटे श्रद्धालु

बक्सर। आस्था की नगरी बक्सर में मौनी अमावस्या पर आज लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान कर पावन होंगे। खास बात यह है कि माघी अमावस्या इस बार सोमवार को पड़ रही है। इस कारण दूरदराज से स्नानार्थियों का पहुंचना रविवार से ही शुरू हो गया था। जो दिनभर शहर के लॉज व धर्मशालाओं को ठहरने हेतु ढूंढ़ते नजर आये।

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कहते हैं, महर्षि विश्वामित्र समेत 88 हजार ऋषि-महर्षियों की यह तापोभूमी रही है। धार्मिक ग्रंथों में इसे पूर्व काल का सिद्धाश्रम स्थल कहा गया है। धर्मशास्त्र के अनुसार भगवान पुरूषोत्तम श्रीराम व लखन की यह शिक्षा स्थली भी रही है। जहां उनके हाथों ताड़का राक्षसी का वध भी किया गया था। खास बात तो यह है कि उत्तारायणी गंगा के होने से यहां स्नान का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसके कारण प्रमुख त्योहारों पर स्नानार्थियों का जमावड़ा काफी तादाद में होता है। वस्तुत: माघ मास की अमावस्या में दूरदराज से भी काफी संख्या में लोग अपने परिजनों के साथ यहां पहुंचते हैं और गंगा में स्नान कर अपने को तृप्त मानते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि इसके महत्व को नजरअंदाज कर आज भी कतिपय लोग इसे गंदा करने से बाज नहीं आते हैं। श्रद्धालुओं को भी चाहिये कि वे गंदगी फैलाने से रोंके। और स्वच्छता का ख्याल रखने का परिचय दें। इधर, रविवार की शाम 5 बजे तक तकरीबन 10 हजार श्रद्धालु नगर के विभिन्न लॉज व धर्मशालाओं में पड़ाव ले चुके थे। इस बाबत सिवान जिला के कोहरवलिया निवासी भूतपूर्व सैनिक ठाकुरनाथ तिवारी, गोपालगंज जिला अंतर्गत बनिया गांव के रमेश साह, बसदेवा के मोहन ¨सह, बटुलिया टोला के जय प्रकाश तिवारी, सोनहुला चंद्रभान गांव के नागमणि मिश्र आदि ने बताया कि वे अपने लगभग आधा दर्जन से ऊपर परिजनों के साथ स्नान को पहुंचे हुए हैं। इसी जिले के फुलवरिया अंचल के लालजी साह, पठानपट्टी के रंजीत कुमार ¨सह, ध्रुवदेव मिश्रा, बृजकिशोर शर्मा, राधाकांत ¨सह आदि ने बताया कि पिछले कई वर्षों से वे निरंतर यहां पहुंच रहे हैं। जिसे वे विकास की नजर से देखते हैं। वहीं, यहां गंगा स्नान कर अपने को धन्य मानते हैं। हालांकि, वाहनों को खड़े किये जाने की समस्या का मलाल भी इन्हें था।


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