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शहर से गांव तक खौफ में बेटियां

बक्सर । रीयल स्टोरी पर बनी फिल्म'दशरथ मांझी: द माउंटेंन मैन'में एक सीन है, जिसमें दशरथ ज

By Edited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 06:07 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 06:07 PM (IST)
शहर से गांव तक खौफ में बेटियां

बक्सर । रीयल स्टोरी पर बनी फिल्म'दशरथ मांझी: द माउंटेंन मैन'में एक सीन है, जिसमें दशरथ जब अपनी पत्नी के साथ छेड़खानी करने वाले दबंग को रोकता है तो वह महादलितों की पूरी बस्ती में आग लगा देता है। गया जिले के गिलहौर की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म में इस घटना का काल आज से तकरीबन चालीस साल पूर्व का है। परंतु, आज भी न तो छेड़खानी रूकी और न ही इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले गरीबों पर दबंगों का कहर। बासुदेवा ओपी में गुरुवार रात पूर्व बीडीसी श्याम बिहारी राम की हत्या इसका उदाहरण है।

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श्याम बिहारी की हत्या केवल इसलिये कर दी गयी, क्योंकि उसने अपने जिगर के टुकड़े के साथ छेड़खानी का विरोध किया था। यही बात इलाके में रहने वाले दबंग घरों के युवकों को नागवार गुजरी और उसने हत्याकांड को अंजाम दिया। दरअसल, सरकार भले ही पढ़ेगी बिटिया, बढ़ेगी बिटिया का नारा बुलंद करती है, लेकिन उसके का¨रदे बेटियों के प्रति बिल्कुल संवेदनशील नहीं हैं। शहर से गांव तक शोहदों का आतंक है और छेड़खानी की घटनायें आम हैं। पुलिस के लिये छेड़खानी गंभीर वारदात नहीं है, हां छेड़खानी से बात आगे बढ़ जाये तो खानापूर्ति में वर्दी वाले सक्रिय होते हैं। छेड़खानी पर पुलिस के इस उदासीन रवैये के कारण ही लड़कियां अपने साथ आये दिन होने वाले इस मानसिक शोषण को चुपचाप सह लेती हैं। उनके या उनके परिवार के पास इसके सिवा चारा ही क्या है। या तो वो आवाज उठायें, या फिर इसे नियति मान अपनी ही किस्मत को कोसें। श्याम बिहारी ने प्रतिवाद का रास्ता चुना और दबंगों ने उसे मौत की घाट उतार सदा के लिये उसके परिवार को दर्द दे दिया। पुलिस अब लकीर पीट रही है, लेकिन इसका जवाब किसी के पास नहीं कि समय रहते श्याम बिहारी की गुहार क्यों नहीं सुनी गयी।

ईंसर्ट

छेड़खानी पर पुलिस उदासीन

साइकिल और पोशाक के साथ नई पीढ़ी में आयी जागरुकता का असर गांव तक दिख रहा है। बेटियां अब घरों से निकल शिक्षा के बूते कामयाबी की उड़ान भरना चाहती हैं। परंतु, उनकी इस चाहत में सबसे बड़ा सिस्टम है। छेड़खानी के त्रस्त बेटियों के लिये जिले में कोई ऐसा तंत्र विकसित नहीं है, जहां वे अपनी यह व्यथा बता सकें। जिले के अधिकांश थानों में एक अदद महिला कांस्टेबल तक की तैनाती नहीं है। दूरदराज इलाकों को तो छोड़िये, शहर में भी छेड़खानी रोकने के लिये कोई विशेष दस्ता नहीं है। ऐसे में लड़कियां कहां शोहदों की शिकायत करें। कई शहरों में पुलिस मेल आइडी व व्हाट्सएप नंबर जारी कर ऐसे मामलों में शिकायत लेती है और उसपर कार्रवाई भी करती है। परंतु, यहां जब जिला स्तर पर पुलिस का वेबसाइट ही अपडेट नहीं होता तो फिर इस सुविधा की बात ही बेमानी है।

बयान :

श्याम बिहारी ने छेड़खानी के मामले में पहले पुलिस को कोई सूचना नहीं दी थी। उन्होंने खुद इस संदर्भ में स्थानीय पुलिस अधिकारियों से पता किया है, इसके बाद भी यदि ऐसी बात आ रही है तो वे इसकी जांच करते हैं।

उपेन्द्र कुमार शर्मा, एसपी, बक्सर।


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