बाईपास रोड पर सवारी, ¨जदगी पर भारी
बक्सर। छोटे-मोटे गड्ढों से बराबर पटा रहने वाला'न्यू बाईपास रोड'का भाग्य तो संवर गया है,
बक्सर। छोटे-मोटे गड्ढों से बराबर पटा रहने वाला'न्यू बाईपास रोड'का भाग्य तो संवर गया है, लेकिन यात्रियों की मुसीबत कम नहीं हुई है। सड़क के एक बगल गड्ढा है, तो दूसरी ओर खाई रूपी नहर। रोड के किनारे फ्लैंक नाम का कोई जगह नहीं है। ऐसे में ड्रावइवर की नजर थोड़ी भी विचलती है तो वाहन की फर्राटेदार पहिया सीधे मौत के मुंह में धकेल देती है। इसके चलते उस पथ पर वाहनों की सवारी करने वाले यात्री अज्ञात भय से सहमे रहते हैं।
समस्या का मूल कारण रोड के किनारे जगह का अभाव है। जिसके चलते नहर के बैंक पर निर्मित इस सड़क पर फ्लैंक का निर्माण कराना कतई संभव नहीं है। लिहाजा पथ निर्माण विभाग भी ¨ककर्तव्यविमूढ़ है।
फाइलों में धूल फांक रहा प्रस्ताव
जानकार बताते हैं कि पथ निर्माण विभाग द्वारा सड़क के किनारे सुरक्षात्मक कार्य कराने के लिए डीपीआर बनाकर विभाग के पास प्रस्ताव भेजा जाता है। परंतु, उच्चाधिकारियों के पास फाइलों में धूल फांकने लगता है। डीपीआर के अनुसार नहर के छोर पर अवरोधक के रूप में दीवाल बनाना है। जिसका मकसद वाहनों को नहर
में फिसलने के भय को खत्म करना तथा दीवार के बगल में मिट्टी भराई कर सड़क की चौड़ाई बढ़ाना है।
बरसात में धूल जाएगी मिट्टी
सड़क निर्माण के समय मिट्टी की भराई कर संकरा सा फ्लैंक बनाया गया था। परंतु, बरसात में किनारा की मिट्टी धूलकर नहर के गर्भ में समा गई। जिससे फुटपाथ की चौड़ाई घटते हुए इतना खतरनाक हो गया है कि ओवर टेक के समय थोड़ी सी भी चूक मौत के मुंह में धकेल देती है।
हर साल बिगड़ती है स्थिति
ढाई दशक पूर्व शहर के बीचोबीच होकर मेन रोड से गाडिय़ों का आवागमन होता था। तब न्यू बाईपास रोड का नामों-निशान तक नहीं था। बस आदि गाड़ियों के परिचालन का दबाव बढ़ने से शहर में ट्रैफिक की समस्या होने लगी। उससे निजात दिलाने के उद्देश्य से 1991 में जिला मुख्यालय बनने के बाद बक्सर शाखा कैनाल के बैंक
पर न्यू बाईपास रोड का निर्माण कराया गया। लेकिन इतने समय बीतने के बाद भी रिटे¨नग वाल का निर्माण नहीं कराया जा सका। फलस्वरूप हर साल बरसात में मिट्टी का कटाव होते-होते स्थिति बिगड़ती गई।
बेकाम हुआ रिटे¨नग वाल
कुछ साल पूर्व रोड के किनारे नहर में रिटे¨नग वाल का निर्माण कराया गया था। डीपीआर में खामियों के चलते वह पूरी तरह नाकामयाब हो गया है। आलम यह है कि करीब एक किलोमीटर लंबी सड़क में कुछ मीटर रिटे¨नग वाल बनाया गया है। जिसकी उंचाई सड़क से काफी नीचे है। ऊंचाई बढ़ाने के बाद ही वह कारगर हो सकता है।
अधिकारी का बयान :नहर के किनारे बनी सड़क की ऊंचाई ज्यादा है। ऐसे में रिटे¨नग वाल बनाने के बाद ही इस समस्या का समाधान हो सकता है। इसके लिए विभाग द्वारा प्रस्ताव भेजा गया है। परंतु स्वीकृति नहीं मिली है।
अनिल कुमार सिन्हा, कार्यपालक अभियंता, पथ निर्माण विभाग, बक्सर।