दस सालों में भी घर-घर शौचालय मुश्किल
बक्सर । आंकड़ो में कोई दोष है या फिर अबतक के विकास कार्यों पर सवालिया निशान, लेकिन दोनो ही मामलों में
बक्सर । आंकड़ो में कोई दोष है या फिर अबतक के विकास कार्यों पर सवालिया निशान, लेकिन दोनो ही मामलों में कटघरे में प्रशासन ही है। दरअसल, प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक जिले के 3 लाख 3 हजार घरों में शौचालय नहीं है और इन घरों के लोग खुले में शौच करते हैं। अब इतने घरों में शौचालय निर्माण प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। जिलाधिकारी ने हर दिन सौ शौचालय बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
लक्ष्य के अनुरूप भी काम हुआ तो सभी घरों में शौचालय बनने में दस साल लगेंगे। प्रशासन के समक्ष यह लक्ष्य हासिल करना बड़ी चुनौती है। सरकार के प्रशासनिक आकंडों पर गौर करें तो अब तक डुमरांव एवं बक्सर नगर परिषद प्रशासन के सौजन्य से शहरी क्षेत्र के 24 हजार 242 घरों का सर्वे किया जा चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोक स्वास्थ अभियंत्रण विभाग द्वारा शौचालय के निमित 3 लाख 75 हजार घरों का सर्वे किया जा चुका है। इनमें डुमरांव व बक्सर नगर को मिलाकर 17 हजार 546 एवं ग्रामीण क्षेत्र के 68 हजार 641 परिवार के पास पहले से शौचालय मौजूद है। आंकड़े के अनुसार गत 31 अप्रैल,2016 तक शहरी क्षेत्र में मात्र 888 एवं ग्रामीण क्षेत्र के 9263 घरों में शौचालय निर्माण का कार्य गति पर है। जब कि शहरी क्षेत्र डुमरांव व बक्सर के 5808 एवं ग्रामीण क्षेत्र के 2 लाख 97 हजार 696 घरों में शौचालय नदारद है।
जिलाधिकारी द्वारा लक्ष्य निर्धारित
प्रशासनिक सूत्रों की मानें तों जिलाधिकारी रमण कुमार ने ग्रामीण क्षेत्र में लोक स्वास्थ अभियंत्रण विभाग को प्रतिदिन एक सौ शौचालय का निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य दिया है। जबकि, नगर परिषद के सौजन्य से शहरी क्षेत्र डुमरांव व बक्सर में बनाये जाने वाले शौचालय को लेकर वितीय बर्ष 2016-17 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही कर चयनित परिवारों को वर्क आर्डर जारी करते हुये निर्माण कार्य आरम्भ कराने को कहा गया है।