सीता जन्म पर मना मिथिला में उत्सव
बक्सर। किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर आयोजित विजयदशमी महोत्सव के चौथे दिन गुरुवार को माता जा
बक्सर। किला मैदान स्थित रामलीला मंच पर आयोजित विजयदशमी महोत्सव के चौथे दिन गुरुवार को माता जानकी के जन्म होने पर मिथिला में उत्सव मनाया गया। वही रावण की दिग्विजय यात्रा व उसके अत्याचार की गाथाओं को साकार किया गया। वही दिन में रासलीला के प्रसंग में ऊखल बंधन लीला का मंचन किया गया।
रामलीला समिति के तत्वावधान में आयोजित रामलीला में दिखाया गया कि मंदोदरी से शादी के बाद रावण देवताओं के धनाध्यक्ष कुबेर पर आक्रमण कर उनसे पुष्पक विमान लूट लेता है। इसके बाद उसे पता चलता है कि त्रिकूट पर्वत पर ब्रह्माजी ने सोने की लंका का निर्माण कराया है तो वह उधर का रुख करता है। फिर वहां यक्षों से युद्ध कर उन्हें पराजित कर लंका नगरी को हड़प लेता है और खुद को वहां का राजा घोषित कर बैठता है। इसी क्रम में उसकी राक्षसी सेना का विस्तार होता है। जिसके अहंकार स्वरूप वह सेना को आदेश देकर पूजा, जप, तप व यज्ञ करने वालों को आतंकित करने तथा उनके धर्म कार्यों में बिघ्न डालने का आदेश देता है। रावणी सेना के अत्याचार से चारों तरफ हाहाकार मच जाता है। इधर रावण से आज्ञा लेकर उसका पुत्र मेघनाद इंद्र के पास जाकर उनपर चढ़ाई करता है। इस संग्राम में वह सभी देवताओं को बंदी बनाकर इंद्र पर विजय प्राप्त कर लेता है। इस विजय से उतसाहित रावण के आदेश पर मेघनाद पंचवटी जाकर ऋषि मुनियों के खून को लेकर घड़े में भरकर जमीन में गाड़ता है। इसके बाद जनकपुर में अकाल पड़ जाता है। वहां की प्रजा में हाहाकार मच गया। गुरु सत्तानंद जी के कहने पर महाराज जनक ने अपनी रानी के साथ बैल के स्थान पर खुद हल में जुतकर खेत की जुताई करने लगे। इसी बीच खेत से घड़ा निकला। जिसके अन्दं एक कन्या मिली। जिसका नाम सीता रखा गया।