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भाव उबाल पर, क्या कमायें क्या बचायें

बक्सर। साल भर पहले तक नया बाजार के श्रीबाबू सुकुन भरी जींदगी जी रहे थे। बेटा शिक्षा मित्र व बेटी का

By Edited By: Published: Fri, 31 Jul 2015 07:31 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2015 07:31 PM (IST)
भाव उबाल पर, क्या कमायें क्या बचायें

बक्सर। साल भर पहले तक नया बाजार के श्रीबाबू सुकुन भरी जींदगी जी रहे थे। बेटा शिक्षा मित्र व बेटी का निजी स्कूल में जॉब। उनका पेंशन सोने में सुहागा। कुल मिलाकर घर में लगभग बीस हजार रूपये कि आमद से परिवार की गाड़ी मस्ती से चल रही थी। महंगाई की ऐसी मार पड़ी कि अब क्या खायें और बच्चों के लिये क्या बचाएं कि फिक्र में डूबे जा रहे हैं।

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हाल पूछा तो बिफर पड़े, सब्जियों का भाव सातवें आसमान पर है। टमाटर व दाल के भाव भी दिनोंदिन चटक होते जा रहा है। जैसे सबों में रिकार्ड बनाने की होड़ मची हो। ऐसे में घर कैसे चलेगा। बात बिल्कूल सत्य है बढ़ रहे रोजमर्रा के सामानों के भाव सबों को डंस रहा है। चांदू डिहरा के सनोज कुमार नियोजित शिक्षक हैं। लेकिन, पगतिदिन तीस किलोमिटर दूर पढ़ाने जाते हैं। इनकि शिकायत है कि आमद का अच्छा-खासा बजट पेट्रोल पी जाता है। भविष्य निधि के लिये रकम पहले से ही शुन्य था। अब तो मंहगाई ने प्रतिमाह दो हजार रूपये का कर्ज ऊपर से लाद दिया है। बकसड़ा के प्रदीप कुमार की हालत भी कुछ ऐसी ही है। हालांकि, वेतनभोगी होने से, पहले से आय लगभग तिगुनी है। खर्च के बजट में भविष्य के लिये नियमित बजट शामिल नहीं है। इनका कहना है कि छह माह पहले जींदगी की गाड़ी जैसे-तैसे खींच जा रही थी। लेकिन, फिलहाल बढ़ी महंगाई की आंधी से गाड़ी थम गई है। रकम हाथ लगते ही वारा-न्यारा लगते दिखाई दे रहा है। यही दर्द जलवासी के गौतम, संतोष व नोनियापुर के केशव, रमेश, गुड्डू का है। औसतन 20-25 हजार रूपये प्रतिमाह आय वाला परिवार भी कुछ बचाने की स्थिति में नहीं है। एमवी कालेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डा.राजेश कुमार के मुताबिक छह सदस्यों (वृद्ध माता-पिता व दो बच्चों के साथ दंपति) के परिवार का भोजन-वस्त्र व मकान किराया आदि का पहले 15 हजार तक में निपट जाता था। बच्चों की पढ़ाई व दवा समेत छिटपुट खर्च के बाद भी एक-दो हजार रूपये प्रतिमाह बच जाते थे। जो आड़े वक्त में कम आता था। हाल के दिनों में मासिक राशन खर्च में तकरीबन तीस से चालीस फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, जिनकी आय स्लैब सात से बारह हजार के नीचे है ऐसे वर्ग की तो पूछिये ही मत। छोटे से इस शहर में उनका गुजारा तो मानो चमत्कार के सहारे ही हो रहा है।

इन्सर्ट

बढ़े भाव से दाल की बिक्री पर भी इफेक्टबक्सर : असमान छू रही दाल की कीमतों का इफेक्ट बाजार पर भी पड़ा है। गोला बाजार के किराना व्यवसायी संतोष कुमार गुप्ता ने बताया कि भाव के चढ़े होने से इन सामानों के खरीदार कम हो गये हैं। जिसका बुरा असर इनकी आमदनी पर भी बड़ा है। जो कहीं न कहीं इनके बजट को भी नुकसान पहुंचा रहा है। उसने बताया कि दो माह में ही दालों के भाव में तकरीबन 25 से 30 रूपये प्रति किलो की तेजी आई है।

एक नजर दालों के भाव पर

सामग्री अब दो माह पहले मुग दाल 105 80-84 प्रति किग्रा. उरद 110 65 रहर 105 65 चना दाल 60 42 मसुरी दाल 85 65 खेसारी दाल 40 36 मटर दाल 36 32 चना 52 36

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सब्जियों ने भी तरेरी आंखें

बक्सर : दाल तो दाल सबजियों ने भी आंखें तरेर रखी हैं। अन्बेडकर सब्जी मंडी में गुरूवार को परवल, बैगन, बरो ताीस रूपये प्रति किग्रा. व करेला, अरूई चौबीस रूपये तथा नेनूआ, भींडी बीस रूपये प्रति किलो की दर से बिक रहा था। वहीं, प्याज अठाईस व टमाटर पैंतीस रूपये प्रति किलो के भाव से नीचे उतरते नहीं दिख रहा। बिक्रेताओं की माने तो टमाटर का भाव बाजार में आमद गिरने पर आधारित है। ईद के दरम्यान यह साठ के भाव पर भी छलांग दे चुका है।


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