सीएस को अंधेरे में रख अस्पताल में डायलिसिस
बक्सर। यह कैसी विडम्बना है कि सदर अस्पताल में डायलिसिस का संचालन पिछले मई माह से ही हो रहा है, और स्
बक्सर। यह कैसी विडम्बना है कि सदर अस्पताल में डायलिसिस का संचालन पिछले मई माह से ही हो रहा है, और स्वास्थ्य विभाग उसके उदघाटन की तैयारी कर रहा है। यहां तक कि इसके लिए जिलाधिकारी रमण कुमार को भी चार अगस्त का समय दे दिया गया है। शुक्रवार को इसका खुलासा तब हुआ जब उदघाटन व इसकी जागरूकता को लेकर सिविल सर्जन डा. राम नारायण राम ने प्रेस कांफ्रेंस बुलायी। प्रेस कांफ्रेंस में एजेंसी द्वारा इस आशय की जानकारी देने के बाद कि मई से ही इसका संचालन किया जा रहा है, सिविल सर्जन भी हैरत में पड गये। सीएस ने कहा कि इसका संचालन कब से और किसकी अनुमति से प्रारंभ हुआ, इसके बारे में उन्हें तनिक भी जानकारी नहीं है। सीएस ने कहा कि वह राज्य स्वास्थ्य समिति को इसके बारे में लिखेंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश के आलोक में चार अगस्त से आठ अगस्त तक सदर अस्पताल में डायलिसिस के चालू होने के बारे में जागरूकता पैदा करना है। ताकि, मरीज यहां इस व्यवस्था का लाभ ले सकें। इसी के तहत चार को औपचारिक उदघाटन के लिए जिलाधिकारी को कहा गया है। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सीएस ने बताया कि गुर्दे की बीमारी में मरीज का डायलिसिस किया जाता है। हालांकि, अस्पताल में यह व्यवस्था मुफ्त नहीं होगी। अपितु इसके लिए पैसे लगेंगे। यह बात और है कि बाजार दर से काफी कम रुपये यहां लगेंगे। सीएस ने कहा कि यहां मरीज 1410 रुपये में अपना डायलिसिस करवा सकता है। लेकिन, यहां समस्या यह है कि जिले में इसका शुभारंभ भी हो गया और विभाग अभी तक अनजान बना हुआ है। जबकि, सीएस का कहना है कि उनके कैंपस में उनके भवन में चल रही इस व्यवस्था के लिए पहले उनसे अनुमति लेना जरूरी है। लेकिन, बगैर अनुमति के संस्था ने इसे चालू कैसे कर दिया है, यह सोचने वाली बात है।
बताते चलें कि बिहार सरकार द्वारा शुरू की गयी लोक निजी साझेदारी पहल पीपीपी के तहत बी-ब्रन नामक संस्था को इसकी जिम्मेवारी दी गयी है। संस्था के आपरेशन मैनेजर मनोरंजन कुमार ने बताया कि पूरे प्रदेश में चैबीस स्थानों पर इसका संचालन करना था। लेकिन सत्रह जगहों पर ही डायलिसिस को लगाया जा सका है। जिसमें बक्सर भी शमिल है। उन्होंने बताया कि पिछले मई माह से ही इसका संचालन यहां हो रहा है। इस दौरान नौ मरीजों को भी देखा जा चुका है। लेकिन ये मरीज कहां से और कैसे आये इस बारे में वह स्पष्ट नहीं बता पाये। ऐसे में शुरूआत में ही इसमें घालमेल की बू आने लगी, यह कहना गलत नहीं है। मतलब साफ है कि डायलिसिस का लाभ मरीजों को मिले या न मिले लेकिन, संस्था ने उसका लाभ लेना शुरू कर दिया है। सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डा.अनिल कुमार ¨सह हो या डीपीएम धनंजय कुमार इन लोगों ने भी इस पर आश्चर्य जताया कि डायलिसिस का संचालन बगैर किसी की जानकारी में कैसे चालू हो गया।
बयान:
बगैर सूचना दिये डायलिसिस का संचालन घोर लापरवाही का द्योतक है। इस बारे में राज्य स्वास्थ्य समिति को लिखा जायेगा कि संस्था ने किस आधार पर बिना सूचना के इसका संचालन प्रारंभ किया।
डाराम नारायण राम, सिविल सर्जन, बक्सर।