श्वेत क्रांति पर व्यवस्था की काली छाया
बक्सर। श्वेत क्रांति की लहर सुदूर गांव-देहातों में पहुंचाने के लिए सरकार तत्पर है। लेकिन, सुदूर क्षे
बक्सर। श्वेत क्रांति की लहर सुदूर गांव-देहातों में पहुंचाने के लिए सरकार तत्पर है। लेकिन, सुदूर क्षेत्रों में जिनपर श्वेत क्रांति को जमीं पर उतारने की जिम्मेदारी है, वही बुनियादी संकट का सामना कर रहे हैं। राजपुर प्रखड के धनसोई पंचायत का प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय का आज तक अपना भवन नसीब नहीं हो सका।
जिससे क्षेत्र के पशुपालकों को पशु संबंधित बीमारियों के निदान के लिए गली-गली भटकना पड़ रहा है।
एक फोर्थ-ग्रेड के बूते अस्पताल
पशु चिकित्सकों द्वारा क्षेत्र में समय कम दिए जाने के कारण सारा कार्य चतुर्थवर्गीय कर्मचारी को ही करना पड़ता है। अभी वर्तमान में मात्र एक भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी तथा एक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी उमाशंकर पाण्डेय कार्यरत हैं। जबकि, चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के लिए स्वीकृत पद दो है।
दवा व सीमेन का नहीं मिलता लाभ
पशुपालकों को सरकारी पशु चिकित्सा केन्द्र का पता ही नहीं मालूम है कि कहां पशु चिकित्सा केन्द्र है। ऐसी स्थिति में अधिकांश पशुपालक जानकारी के अभाव में दवा एवं सीमेन का लाभ नहीं ले पाते है।
गर्भाधान में झोलाछाप करते हैं शोषण
पशु चिकित्सा केन्द्र पर संसाधनों की कमी का नाजायज फायदा झोला छाप डाक्टर उठाते हैैं। झोला छाप चिकित्सकों द्वारा दवा करने एवं सीमेन चढ़ाने के नाम पर पशुपालकों से मनमाना रकम वसूल किया जाता है।
जमीन रहते नहीं बना भवन
ग्रामीणों द्वारा वर्ष 2012 में ही पशु अस्पताल के लिए 6 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने के बाद भी विभाग द्वारा पशु अस्पताल का निर्माण नहीं कराया जा रहा है।
बयान:
एक माह पूर्व से टीकाकरण कार्य हेतु ब्रह्मापुर में प्रतिनियोजन हो जाने के कारण ऐसी स्थिति हुई है। हालांकि दवा एवं सीमेन का अभी अभाव नहीं है।
डा.रविन्द्र उपाध्याय, भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी।
ईसर्ट
विभाग ने मानी समस्या
बक्सर : पशु अस्पतालों के लिए होने वाली समस्या से जिला पशुपालन विभाग भी अवगत है। जिला पशुपालन पदाधिकारी डा.बिगन सिंह ने बताया कि सभी डाक्टरों के पास अतिरिक्त प्रभार होने की वजह से थोड़ी बहुत परेशानी होती है। दवाएं जब भी आती है जरूरत के हिसाब से पशुपालकों को उपलब्ध करा दिया जाता है। जिले के सदर बक्सर, प्रतापसागर, धनसोई में किराए के भवनों में चल रहे पशु चिकित्सा केन्द्रों के भवन निर्माण को लेकर कई बार पत्राचार किया गया है। जबकि, राजपुर में छह वर्ष पूर्व से शुरू हुआ पशु अस्पताल का निर्माण का कार्य अब तक अधूरा है।