माननीयों का कर्मभूमि रहा बक्सर कोर्ट
गिरधारी अग्रवाल, बक्सर : विश्वामित्र की इस भूमि पर 17 मई 1912 को बक्सर कोर्ट की स्थापना की गई थी। तब
गिरधारी अग्रवाल, बक्सर : विश्वामित्र की इस भूमि पर 17 मई 1912 को बक्सर कोर्ट की स्थापना की गई थी। तब के तीन मुख्तारों व वकीलों में बाबू हरिध्यान सिंह, केदार ओझा व पल्टू बाबू से शुरू हुई यह विरासत आज दो हजार अधिवक्ताओं का वट वृक्ष बन चुका है। सूबे के सबसे पुराने न्यायालयों में एक बक्सर कोर्ट के साथ रविवार को एक और गौरवशाली अध्याय जुड़ेगा। जब पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एल.नरसिम्हा रेड्डी का यहां पदार्पण होगा।
श्री रेड्डी यहां बार भवन का शिलान्यास करने आ रहे हैं। वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद ने बताया कि 11 दिसम्बर 1992 को जिला एवं सत्र न्यायालय का दर्जा मिला। तब हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश बिमल चंद्र बसाक इस मौके के गवाह बने थे। इससे पूर्व सिविल कोर्ट में सब जज कोर्ट का उद्घाटन तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनएल ऊंटवालिया ने किया था। वहीं, एडीजे कोर्ट का उद्घाटन तत्कालीन न्यायाधीश जी जी सोहनी ने 27 नवंबर 1990 को किया था। इस कोर्ट में कार्यरत ब्रह्मापुर के अधिवक्ता सरयू प्रसाद सिंह, डुमरांव के कन्हैया जी, चुरामनपुर के एबीएन सिन्हा, चौसा के तारकेश्वर नाथ, अमसारी के कन्हैया प्रसाद सिंह, बक्सर नया बाजार के अधिवक्ता पीके सिन्हा ने पटना हाईकोर्ट में न्यायाधीश के पद तक पहुंचे। वहीं, दुल्लहपुर के यूपी सिंह व धूमराय के पूरा निवासी अधिवक्ता विनोद कुमार राय ने पटना हाईकोर्ट के साथ-साथ क्रमश: केरल व इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के पद पर सुशोभित हो जिले को गौरवान्वित किया।