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'अंतर्राष्ट्रीय धर्म सम्मेलन' को बसा 'दिव्य धाम'

जागरण संवाददाता, बक्सर : 'श्री वैष्णव' संप्रदाय के प्रवर्तक जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्यजी महाराज

By Edited By: Published: Fri, 17 Apr 2015 07:54 PM (IST)Updated: Fri, 17 Apr 2015 07:54 PM (IST)
'अंतर्राष्ट्रीय धर्म सम्मेलन' को बसा 'दिव्य धाम'

जागरण संवाददाता, बक्सर : 'श्री वैष्णव' संप्रदाय के प्रवर्तक जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्यजी महाराज का सहस्त्राब्दी जयंती महोत्सव पर आयोजित होने वाले 'अखिल अंतरराष्ट्रीय श्री वैष्णव सम्मेलन सह संत समागम' तथा लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का आयोजन किया गया है। 19 अप्रैल को शुरू होने वाले इस दस दिवसीय महा महोत्सव को लेकर डेढ़ सौ एकड़ भूमि की घेराबंदी कर 'दिव्य धाम' बसाया गया है। जो शहर से तीन किलोमीटर पूरब बक्सर-आरा राष्ट्रीय उच्चपथ-84 से उतरी छोर पर सटे अहिरौली, अर्जुनपुर व चुरामनपुर आदि गांवों की सीमा क्षेत्र है।

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इस चौहदी में केवल अध्यात्मिक कार्यक्रमों के लिए ही छह विशाल मंडप बनाए गए हैं। इसके अलावा पाकशाला, भोजनालय तथा श्रद्धालुओं के ठहरने व विश्राम के लिए छह हजार रेवटियां व एक सौ शामियाने की व्यवस्था की गई है। जबकि साधु-संतों के ठहरने का स्थान अलग से नियत किया गया है। धर्म समागम का आयोजन पूज्य संत ब्रह्मालीन श्री त्रिदंडी स्वामी जी महराज के शिष्य व सन्यासी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज के सान्निध्य में किया जा रहा है।

पूजा-पाठ को अलग-अलग बने मंडप

'दिव्य धाम' में विशाल यज्ञशाला के साथ ही अलग-अलग छह वृहद मंडप का निर्माण हुआ है। जिसमें 360000 वर्ग फीट में प्रवचन पंडाल, 250000 वर्ग फीट क्षेत्र में आहूति यज्ञशाला, 90000 वर्ग फीट में अभिषेक पंडाल बनाए गए हैं। इसके अलावा श्रीमद्भागवत महापुराण, गीता पाठ, बाल्मीकिय रामायणम्, श्रीरामचरित मानस व अन्य सद्ग्रंथों के परायण पाठ के लिए अलग-अलग मंडपों के स्थान तय हुए हैं।

भोजन-प्रसाद को बने आठ पाकशाला

भोजन-प्रसाद के लिए आठ पाकशाला परिसर का निर्माण कराया गया है। जिसमें साधु-संत, यजमान, पुरोहित के लिए व्यवस्था अलग तथा श्रद्धालु महिलाओं व पुरुषों के लिए दो-दो भोजन परिसर अलग से निर्धारित किए गए हैं।

ठहरने के लिए लगीं रेवटियां

यज्ञ में शिरकत करने के लिए वहां ठहरने का भी बंदोबस्त किया गया है। इसके लिए 6 हजार रेवटियों से आशियाना बनाए गए हैं। वही बड़े-बड़े एक सौ शामियाने व तंबू लगाए गए हैं। ताकि लोगों को चिलचिलाती धूप से बचाव हो सके।

सोलह मंजिल यज्ञशाला

यज्ञशाला का स्वरूप सोलह मंजिल है। जिसकी ऊंचाई तकरीबन एक सौ फीट होगी। इसी में 1,251 कुंड की स्थापना की गई है। जिसमें यज्ञाहुतियां दी जाएंगी।

सवा लाख कलश से अभिषेक

अभिषेक मंडप में सवा लाख कलश रखने की व्यवस्था की गई है। जिसमें श्रीमद् जगद्गुरु रामानुजाचार्य जी महाराज का सवा लाख घटों से अभिषेक किए जाएंगे।

तीन लाख लोगों की होगी पंगत

यज्ञ समिति के कारिंदों के मुताबिक भोजन पंडालों में प्रति दिन तीन लाख लोगों के प्रसाद खाने की व्यवस्था की गई है। जिनकी सेवा में देश के कोने-कोने से हजारों स्वयंसेवकों की टोलियां दिन-रात तत्पर रहेंगी।


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