सीता स्वयंवर में राम ने शिव धनुष तोड़ा
राजपुर (बक्सर) : रामलीला समिति मंगराव-संगराव के तत्वावधान में चल रहे रामलीला के दौरान रविवार को सीता स्वयंवर का मंचन किया गया। जिसमें राम ने शिव के धनुष को तोड़ा। धनुष टूटते ही राम के गले में त्रिभुवन विजय की माला डालकर सीता ने राम के साथ शादी का प्रस्ताव रखा।
इस लीला के माध्यम से यह दिखाया गया कि जनक पुत्री सीता आदि शक्ति जगत जननी की अवतार है। उसी शिव के पिनाक को पूजा करने के दौरान बाये हाथ से उठाकर उसकी सफाई की थी। इस आश्चर्यजनक घटना को देखकर जनक चकित रह जाते हैं और उन्होंने यह घोषणा कर दी की जो व्यक्ति इस धनुष को उठाकर और प्रत्यंचा चढ़ाकर तोड़ेगा उसी के साथ सीता का विवाह होगा। इस खबर को सुनते ही बड़े-बड़े भूपति इस स्वयंवर में भाग लेने के लिए आते हैं। इस स्वयंवर की खबर सुनकर बक्सर सिद्धाश्रम से विश्वामित्र मुनि राम-लक्ष्मण के साथ मिथिला पहुंचते हैं। वहीं, इस स्वयंवर में रावण और बाणासुर भी पहुंचे। लेकिन, किसी से भी धनुष नहीं टूटा। अंत में गुरू विश्वामित्र की आज्ञा पर राम ने उस धनुष को इतना जल्दी से उठाकर तोड़ा कि किसी ने देखा भी नहीं। इस बारे में तुलसीदास ने लिखा कि लेत चढ़ावत रवैचत गाढ़े, काहू न लखा देख सब ठाढ़े। इसके बाद धनुष टूटते ही सीता अपने सखियों के साथ आती हैं और राम के गले में जयमाला पहना देती है। वहीं, इस धनुष टूटने की आवाज सुनकर परशुराम जी आते हैं और अपने गुरू का धनुष टूटने पर सभी राजाओं पर कूपित होते हैं। इनके सभी सवालों का जवाब लक्ष्मण जी देते हैं। जवाब से संतुष्ट होकर परशुराम राम को प्रणाम कर तपस्या के लिये वन में चले जाते है। इस लीला को देखकर दर्शकों का मन मुग्ध हो गया। वहीं, इस लीला के कलाकार चंदन पाडेय, छोटू पाडेय, संतोष कुमार पाडेय, पप्पु पाडेय, शिवजी पाडेय ने खूब तालिया बटोरी। जबकि, संचालन रामलीला के व्यास बबन पाडेय ने किया।