60 हजार की आबादी, 20 हजार शौचालय विहीन
संवाद सहयोगी, डुमराव (बक्सर) : नगर प्रशासन द्वारा नगर को स्वच्छ व सुंदर बनाये रखने का दावा खोखला साबित हो चुका है। आजादी की लंबी अवधि गुजरने के बाद भी 60 हजार की आबादी वाले नगर के 40 फीसद घरों में शौचालय नहीं है। खास तौर पर दलित बस्तियों में शौचालय विहीन घरों का अनुपात काफी ज्यादा है।
शौचालय के अभाव में गरीब व दलित परिवार के लोग अहले सुबह और शाम में सड़क के सुनसान होने का इंतजार करते हैं। मन में व्याप्त असुरक्षा के बीच महिलाओ को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हालाकि, कई गरीबों के घरों में शुष्क शौचालय से काम चलाया जाता है। आश्चर्य की बात है कि सरकार द्वारा स्वच्छता व शहर के लिए 'मन का मंदिर शिवालय व तन का मंदिर शौचालय' का स्लोगन दे रही है। सरकार द्वारा शौचालय निर्माण पर बल दिया जा रहा है। लेकिन, नगर में सरकार का अभियान टांय-टांय फिस्स है। जानकार सूत्रों की माने तो दो वर्ष पूर्व राज्य सरकार की पहल पर एक एनजीओ द्वारा शौचालय विहीन घरों का सवर्ें किया गया था। सवर्ें की रिपोर्ट को एनजीओ द्वारा नगर परिषद डुमराव तथा राज्य सरकार को सौंपी थी। परंतु, नतीजा ढाक का तीन पात निकला। हालांकि, नगर परिषद का दावा है कि इस दिशा में काम हो रहा है और वार्ड पार्षदों से उनके क्षेत्र के शौचालय विहीन घरों की सूची मांगी गयी है। परंतु, वार्ड पार्षद एक साल पहले के सर्वे पर अब दिखायी जा रही सक्रियता पर सवाल उठा रहे हैं। वार्ड पार्षद धीरज कुमार ने कहा कि जब नगर परिषद क्षेत्र में इतनी बड़ी आबादी शौच के लिए सड़क किनारे कोना ढूंढने को विवश है तो ग्रामीण इलाकों की स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
बयान :
नगर परिषद क्षेत्र में शौचालय विहीन घरों की संख्या की पहचान की जा रही है। उक्त घरों को शौचालय युक्त करने के लिए 29 लाख रुपये प्राप्त हुए हैं। वार्ड पार्षदों से भी सहयोग लिया जा रहा है।
अजीत कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, डुमरांव।