..इससे पहले कि हमें पानी पिलाए पानी
भोजपुर । वक्त के रहते सुनो! होश में आएं हम सब/इससे पहले कि हमें पानी पिलाए पानी। मशहूर
भोजपुर । वक्त के रहते सुनो! होश में आएं हम सब/इससे पहले कि हमें पानी पिलाए पानी। मशहूर शायर कुंवर जावेद का यह शेर हमें जल संरक्षण की नसीहत दे रहा है। अधिकांशत:आम से खास आदमी आज पानी की बर्बादी को लेकर विशेष चिंतित नहीं है और न ही विभाग। जहां एक ओर पेयजल संकट बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ हम पानी की बेतहाशा बर्बादी कर रहे हैं। भारत के अन्य प्रदेशों की भांति बिहार में भी शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। नियम-कानून के अभाव और जागरूकता की कमी के कारण अंधाधुंध जल दोहन ने स्थिति को और विकट बना दिया है।
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जल ही जीवन है :
हम जल के बिना जीव-जंतुओं के जीवन की कल्पना नहीं सकते। आज चारों तरफ जलसंकट की समस्या बढ़ती जा रही है। वैसे पृथ्वी का तीन चौथाई हिस्सा जल से भरा है। हमारे देश में अनेकों छोटी-बड़ी नदियां, तालाब आदि हैं। लेकिन सभी जल पीने योग्य नहीं है। यदि अभी से हम जल की बर्बादी को नहीं रोकेंगे और जल संरक्षण के प्रति सचेत नहीं होंगे तो मानव जीवन पर संकट उत्पन्न हो जायेगा। कहा भी जा रहा है कि अगला विश्व युद्ध जल को लेकर होगा।
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जल संरक्षण योजना :
पेयजल के लिए जल संचयन और जल संरक्षण के आधे-अधूरे प्रयास बेमानी साबित हो रहे हैं। यदि यही स्थिति बरकरार रही तो आने वाले दिनों में लोगों को पेयजल के लाले पड़ सकते हैं। इसके लिए लाखों-लाख खर्च करने के बावजूद कुछ विशेष लाभ नहीं दिख रहा है।
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वर्षा जल का संरक्षण :
बढ़ते जल संकट को दूर करने के लिए हमें गंभीरता से सोचना व उचित कदम उठाना होगा। हम वर्षा के जल का संरक्षण कर इस्तेमाल कर सकते हैं। शहर में छतों पर रेन वाटर हार्वेस्िटग तकनीक का प्रयोग कर भूजल स्तर बढ़ाया जा सकता है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश के पानी को तालाबों व नहरों में संचयन कर सकते हैं। यह वेट लैंड जल संरक्षित करने का अच्छा जरिया है।
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बदलनी होगी सोच :
मौजूदा समय में 'जल बचाएं' महज नारा नहीं बल्कि आवश्यकता है। इसके लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा। इस सोच को भी बदलना होगा कि सिर्फ मेरे पानी बचाने से क्या होगा। क्योंकि यह भी देखा गया है कि बूंद-बूंद तालाब भरता है।
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ऐसे बचाएं जल :
छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर हम पानी की बर्बादी को रोक सकते हैं। साथ ही जल संकट से निजात पा सकते हैं। गमलों व बगीचे के पौधों में पानी पाइप से डालने के बजाये बाल्टी व मग से डालें। यदि पाइप से पानी पटा रहे हैं तो पूरा पटने से पहले ही नल को बंद कर दें, ताकि पाईप का पानी भी सदुपयोग हो जाये। नहाते समय बड़े मग की बजाए छोटा मग का प्रयोग करें। ब्रश करते समय या सेविंग के समय नल को बंद रखें। साबुन से हाथ धोते समय नल को कम खोले। कोई भी काम करते समय जितना पानी की जरूरत हो उतना ही इस्तेमाल करें, उसके बाद नल को बंद कर दें। गाड़ी धोते समय पानी की बर्बादी का ख्याल रखें। यदि पाईप कहीं लिकेज हो अथवा नल में कोई खराबी हो तो यथाशीघ्र इसे दूर करने का प्रयास करें।
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विश्व जल दिवस :
वर्ष 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित कर प्रतिवर्ष 22 मार्च को पानी के लिए विश्व दिवस मनाने की घोषणा की। उसके बाद से प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है।