आपदा से निपटने को संसाधनों का अभाव
भोजपुर । प्राकृतिक आपदा से आम लोगों की सुरक्षा के लिए आवश्यक संसाधन की घोर कमी के साथ्
भोजपुर । प्राकृतिक आपदा से आम लोगों की सुरक्षा के लिए आवश्यक संसाधन की घोर कमी के साथ-साथ रहनुमाओं के स्तर पर बचाव के प्रति जागरूकता को लेकर चलाये जाने वाले अभियान महज कागजी कोरम भर रहा है।
भोजपुर जनपद प्रति वर्ष बाढ़ और अग्निकांड के प्रकोप को झेलता है। बाढ़ के दौरान जिले के छह प्रखंडों की लगभग साढ़े सात लाख आबादी पुरी तरह तबाह हो जाती है। जान-माल की अपार क्षति होती है। हर वर्ष शाहपुर एवं बड़हरा प्रखंड का दियारा इलाका के लोगों को अप्रैल, मई एवं जून माह में अग्निकांड का सामना करना पड़ता है। अलबता लोग हर वर्ष प्राकृतिक आपदा बाढ़ एवं अग्निकांड से जूझते रहे है। इनके बचाव के स्थायी निदान के प्रति न तो शासन पहल कर सका है न ही प्रशासन। भोजपुर जनपद की आबादी जिले के शहरी से लेकर ग्रामीण कसबे की कुल आबादी लगभग 30 लाख है। चौदह प्रखंड एवं तीन अनुमंडल कार्यालय यहां अवस्थित है। चौदह अंचल कार्यालय भी है।
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फायर बिग्रेड कार्यालय के पास मात्र तीन गाड़ियां
गृहरक्षकों के भरोसे दमकल : जिले में फायर बिग्रेड की छोटी-बड़ी कुल पांच गाड़ियां है। इसमें तीन आरा आफिस तथा एक-एक पीरो और जगदीशपुर अनुमंडल को दिया गया है। आरा कार्यालय में एक सब फायर आफिसर, एक हवलदार, एक प्रधान चालक तथा दो फायर मैन कार्यरत है। इसके अलावा 9 होमगार्ड जवानों तथा एक सैप चालक की प्रतिनियुक्ति की गयी है। इसी तरह पीरो और जगदीशपुर अनुमंडल मुख्यालय में 2000 लीटर क्षमता की जो दमकल गाड़ियां दी गई हैं, उसमें भी ग्यारह होम गार्ड जवानों को प्रतिनियुक्त किया गया है। इसके अलावा जिले के सात थानों बड़हरा, गड़हनी, चरपोखरी, अगिआंव बाजार, तरारी तथा संदेश थाना को तत्काल राहत कार्य चलाने हेतु मिक्स टेक्नोलॉजी की मिनी दमकल गाड़ियां उपलब्ध करायी गई है जो कि तीन सौ लीटर क्षमता की है। इस पर भी फायर मैन के रूप में दो-दो होमगार्ड जवानों को प्रतिनियुक्त किया है।
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क्या हैं मूल समस्या :
यहां फायर सर्विस सेंटर की स्थापना करीब 1985 के आसपास हुई थी। यहां प्रधान हवलदार के 4 , हवलदार चालक के 3, फायर मैन सिपाही के 12 एवं दरोगा के दो पद स्वीकृत है। अग्नि सिपाही व चालक की कमी को देखते हुए यूनिट को होम गार्ड एवं सैप काभी जवान मिला है। हर साल गाड़ियों में कुछ न कुछ खराबी होते रहती है। लेकिन महीनों बाद राशि मुहैया करायी जाती है। जिससे उन्हे परेशानी झेलनी पड़ती है। फायर बिग्रेड की अधिकारी पटना में बैठते है जिसके चलते कठिनाइयों को दूर करने हेतु राजधानी की दौड़ लगानी पड़ती है। आबादी को ध्यान रखते हुए पीरो एवं जगदीशपुर अनुमंडल में भी एक-एक यूनिट की स्थापना की गई है। आरा इकाई से ही स्टाप में कटौती कर वहां भेजा गया है। स्थिति उस समय ज्यादा विकट हो जाती है जो एक ही समय में दो-तीन जगहों पर आग लग जाती है। क्योंकि चालक की कमी से दूसरों का मोहताज रहना पड़ता है। जो होमगार्ड के सिपाही डयूटी में लगाये गये है,उन्हे फायर मैन की सेवा ली जाती है।