.. और शहर में एक भी पालतू कुत्ता नहीं!
भोजपुर । यह बात सच है कि आरा शहर में कुत्ता पालने के शौकीनों की कमी नहीं है। कई घ्
भोजपुर । यह बात सच है कि आरा शहर में कुत्ता पालने के शौकीनों की कमी नहीं है। कई घरों के दरवाजों पर देशी से लेकर विदेशी नस्ल के कुत्तों की एक लंबी जमात है। किंतु आश्चर्य इस बात की है कि आजादी के बाद से लेकर आज तक आरा शहर में एक भी पालतू कुत्ता का निबंधन तक नहीं कराया गया है। वहीं पालतू कुत्तों के निबंधन कराने के सवाल पर पशुपालन विभाग अनभिज्ञ है।
नगर निगम के सूत्र बताते हैं कि निबंधन कराने का नियम है, लेकिन कोई आगे बढ़कर नहीं आ रहा है। जबकि कुत्ता पालने वाले को नियमत: नगर निगम में निबंधन कराना आवश्यक है। जानकारों का कहना है कि बिना निबंधन कराये कुत्ता पालना गैरकानूनी है। नियमों का उल्लंघन करना उन्हें महंगा पड़ सकता है। बशर्ते नगर निगम थोड़ा सख्ती से नियम का पालन कराये। वैसे देखा जाये तो स्वामीभक्त कुत्ते घर की रखवाली तो करते ही हैं, साथ ही अपने स्वामी के परिजनों की सुरक्षा में भी अपने स्तर से कोई कोताही नहीं बरतते। इनके रहन सहन और खान पान पर हजारों रुपये खर्च होते हैं। कुत्तों के शौकीनों की बात को छोड़ भी दे तो इनके जिम्मेदराना विभाग भी कुत्तों के निबंधन से अपनी अनभिज्ञता जाहिर करते है। जबकि मौजूदा दौर में शहर के कई नामी गिरामी घरानों के दरवाजों पर आज भी 'होशियार' कुत्ते से सावधान का बोर्ड टंगा मिल जाता है। शहर में कुत्ता के शौकीन कई परिवार में जर्मन, सेफर्ड व विदेशी नस्ल के कुत्ते उनके दरवाजे पर उनकी शान में चार चांद लगा रहे हैं। इसके बावजूद यहां जब से नगर परिषद का गठन हुआ है, उसके बाद से आज तक यहां एक भी लोगों ने अपने कुत्ते का निबंधन नहीं कराया है। नियमों के मुताबिक निबंधन कराने के लिये बकायदा शुल्क निर्धारित है। शुल्क का निर्धारण समय-समय पर नगर निगम बोर्ड की बैठक में तय करने का प्रावधान है। लेकिन कुत्तों का निबंधन कराने में न तो बोर्ड कोई पहल कर रहा है, और न ही जनता द्वारा चुने गये नुमाइंदे इसको लागू कराने में रुचि ले रहे हैं। जबकि एक्ट के मुताबिक निबंधन जरूरी है। निबंधन नहीं कराने से नगर निगम को लाखों रुपये की क्षति पहुंच रही है।