श्रद्धा व आस्था का प्रतीक देव चंदा का सूर्य मंदिर
पीरो (भोजपुर),एक प्रतिनिधि : बिहार की पावन पवित्र धरती पर एक से बढ़कर एक सूर्य मंदिर है। तरारी प्रखंड के देव (चंदा) गांव का प्राचीन सूर्य मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। जिससे लोगों की आस्था जुड़ी है। ऐसे में यह मंदिर पूरे शाहाबाद प्रक्षेत्र सहित आसपास के इलाकों में लोगों के बीच प्रसिद्ध है। भोजपुर जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दक्षिण कुरमुरी नहर लाइन के किनारे देव गांव में अवस्थित यह प्राचीन सूर्य मंदिर 14वी शताब्दी में निर्मित बताया जाता है। हालांकि इसका लिखित ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं है फिर भी मंदिर की बनावट एवं यहां स्थापित मूर्तियों के कलाकृति से यह अनुमान लगाया जाता है कि यह मंदिर सल्तनत काल में ही स्थापित किया गया है। ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण इस ऐतिहासिक धरोहर की ओर आज तक पुरातत्व वत्ताओं का ध्यान भी केन्द्रित नहीं हो पाया है। वर्तमान में मंदिर का अवशेष एक आयताकार ऊंचे टीले पर अवस्थित है जिसका क्षेत्रफल लगभग 35 डिसमिल भूमि पर फैला है। टीले के दक्षिणी सीमा पर प्रधान मंदिर अवस्थित है। सतह पर मंदिर की स्थिति लगभग 16 फीट लंबी एवं 15 फीट चौड़ी है। लगभग 30 फीट ऊंचे गुंबज वाले इस मंदिर का द्वार परंपरानुसार पूरब की ओर है। गर्भ गृह के पश्चिमी दीवार से सटे पांच चबूतरे बने है जो सीमेंट से निर्मित एक सुंदर रथ से जुड़ा है। इस चमकीले रथ पर एक सारथी की आकृति बनी है। प्रधान मंदिर से सटे पूरब तरफ 30 फीट लंबा प्रांगण है जो यहां निर्मित सभा भवन का अवशेष बताया जाता है। यह विशाल प्रांगण ईट की दीवार से घिरा है। बालू पत्थर से निर्मित ये मूर्तियां यहां समय-समय पर हुई खुदाई से प्राप्त हुई है। मूर्तियों की बनावट से इनकी प्राचीनता का एहसास होता है। देव गांव स्थित इस प्राचीन मंदिर के साथ कई आश्चर्यजनक तथ्य जुड़े है। मंदिर को बाहर से देखने पर ऐसा लगता है कि मंदिर के निर्माण में प्रयुक्त ईटे परस्पर एक-दूसरे पर बिना किसी जोड़ के रखा गया है। ग्रामीण बताते है कि यहां दूर-दूर से लोग छठ व्रत करने के लिए आते हैं।
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