श्रद्धा व आस्था की प्रतीक मां पीटन देवी का मंदिर
पीरो(भोजपुर) : एक प्रतिनिधि
मां पूज्य हैं, आराध्य हैं, देवी रूप हैं। वह अपने आप में पूर्ण है व श्रद्धा योग्य हैं। तब भला लोग मां के चरणों में क्यों न नतमस्तक हों। सचमुच मां पीटन देवी के प्रति लोगों की बढ़ती आस्था एवं विश्वास ही उन्हे दर्शन हेतु पीरो स्थित माता के मंदिर की ओर खींच लाती है। जिससे यह मंदिर जनमानस के लिए आध्यात्मिक आस्था एवं श्रद्धा का केन्द्र बन गया है। वैसे पीरो अनुमंडल मुख्यालय स्थित मां पीटन देवी के मंदिर की प्राचीनता के संबंध में कई तरह की किवदंतियां प्रचलित हैं।
जानकार लोग बताते है कि दशकों पूर्व यहां नीम का एक विशाल वृक्ष था जहां फक्कड़ स्वभाव का एक व्यक्ति अपना बसेरा बनाये हुए था। एक दिन रात्रि पहर जब वह नीम के वृक्ष के नीचे सो रहा था तभी उसे स्वप्न में मां के दर्शन हुए। सुबह जागने पर उसने पाया कि उक्त वृक्ष के तने में माता की मुखाकृति दृष्टिगोचर हो रही है। जब इसकी चर्चा उसने आसपास के लोगों से की तो देवी भक्तों की भीड़ वहां मां के दर्शन को उमड़ पड़ी। देखते ही देखते यह स्थान धार्मिक केन्द्र के रूप में बदल गया। कालांतर में जन सहयोग से यहां मां देवी का एक मंदिर भी बनकर तैयार हो गया। जहां नित्य पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालु आने लगे।
लोग बताते है कि यहां आकर मां की पूजा अर्चना करने वाले भक्तों की मुराद पूरी होती है। मां की कृपा से अब तक हजारों माताओं की गोद भरी है। हजारों कन्याएं मनचाहा वर पाने में सफल रही हैं। मां के प्रति श्रद्धा भाव रखने वाले तथा नित्य पूजा अर्चना करने वाले व्यापारियों का व्यवसाय दिन दूना, रात चौगुना फलता-फूलता है। कई रोगी असाध्य रोगों से मुक्ति पाकर सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे है। ऐसे में मां के प्रति लोगों की श्रद्धा एवं विश्वास बढ़ना स्वाभाविक है। वैसे भी माता की महिमा अपरंपार है। मां में कुसुम सी कोमलता, बज्र सी कठोरता, सागर सी गंभीरता, पृथ्वी सी सहिष्णुता, गंगा जैसी पवित्रता, चांद की चांदनी जैसी शीतलता एक साथ एक ही जगह प्राप्त होती है।
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