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बिंदगांवा त्रिवेणी संगम को भूल गये रहनुमा

भोजपुर । बिंदगांवा त्रिवेणी संगम धार्मिक, आध्यात्मिक व पौराणिक महत्व के मामले में बिंदगांवा

By Edited By: Published: Thu, 08 Oct 2015 05:07 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2015 05:07 PM (IST)
बिंदगांवा त्रिवेणी संगम को भूल गये रहनुमा

भोजपुर । बिंदगांवा त्रिवेणी संगम धार्मिक, आध्यात्मिक व पौराणिक महत्व के मामले में बिंदगांवा गांव को राष्ट्रीय फलक पर जरूर पहुंचा सकता है। परंतु उपेक्षा के कारण संगम की स्थिति बदहाल है। संगत स्थल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। अपने पहचान को मुंहताज बना है। भौतिक सुविधाओं का दंश झेल रहा है। आने वाले श्रद्धालु भक्त स्नानार्थियों के कष्ट से दुखी होते हैं। मगर हम हैं कि आध्यात्मिक दुहाई तो खूब देते हैं। पौराणिक कथाएं कहते हैं। धार्मिक परम्पराओं को ले डुबकी लगाने का सौभाग्य प्राप्त करने पहुंच जाते हैं। मगर संगम स्थल की दुर्दशा को दूर करने का बस मौखिक आश्वासन देकर भूल जाते हैं। संगम स्थल जाने का न तो कोई सड़क है न स्नान का घाट ही है। वैशाखी मेले, मकर सक्रांति, मौनी आमवस्या, कार्तिक पूर्णिमा आदि जैसे अवसरों पर हजारों श्रद्धालु बिहार के अन्यत्र जिलों से भी आते हैं। ऐसी मान्यता है कि संगम स्थल पर डुबकी लगाने से दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों तरह के पाप, कष्ट दूर होते हैं। हालांकि इसे पर्यटन स्थल का दर्जा व सुविधाओं को वादा तो किया जाता रहा है पर वो सब भूल गये। ग्रामीण बताते हैं कि संगम स्थल के नाम पर फूंहा से सड़क बिंदगांवा गांव तक बनी जो राशि के अभाव में घाट से 2 किलोमीटर पहले ही रूक गयी। पथ व घाट के अभाव में श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती है। हालांकि ग्रामीणों के सहयोग से संगम स्थल पर विशाल संगमेश्वर नाथ मंदिर बनाया गया है।


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