'यहां जो बच गये हैं जलजले में..'
शमशाद 'प्रेम', आरा : 'यहां जो बच गये हैं जलजले में/वह अहले खानदान को रो रहे हैं/खुदा जाने ये कैसा इम
शमशाद 'प्रेम', आरा : 'यहां जो बच गये हैं जलजले में/वह अहले खानदान को रो रहे हैं/खुदा जाने ये कैसा इम्तहान है/कि ये बच्चा अपनी मां को रो रहे हैं।' किसी शायर की ये पंक्तियां भूकंप के कारण के जान व माल के नुकसान को व्यक्त कर रही हैं। धरती हिलने से धरती की कई चीजें हिल गयीं। लोगों का दिल व दिमाग भी हिल गया। जिधर देखें खौफ का आलम है। हर वक्त लोग भयभीत रह रहे हैं।
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फोटो फाइल 26 आरा 16
कैप्सन-डा.बी.डी.शर्मा
कहते हैं भूगोलवेता : अवकाश प्राप्त प्राचार्य व भूगोलवेता डा.बी.डी.शर्मा के अनुसार भूकंप तीन प्रकार का होता है-विवर्तनिक, समस्थितिक और ज्वालामुखीय। शनिवार से जो भूकंप के आने का जो सिलसिला जारी है वह समस्थितिक भूकंप है। हिमालय पहाड़ विश्व का सबसे नवीन मोड़दार पहाड़ है। इस पहाड़ के बनने की प्रक्रिया के कारण भूकंप आ रहा है। पृथ्वी का केन्द्र पर चारों ओर से समान भार है, जिसके चलते पृथ्वी शांत रहती है। जैसे ही उसमें असंतुलन होता है, पृथ्वी कांप करके उसको संतुलित करती है। जिस क्षेत्र का भार केन्द्र पर कम होगा, वही क्षेत्र कांपेगा। वहीं टेकटॉनिक प्लेट के गतिशील होने पर भी भूकंप आता है।
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फोटो फाइल 26 आरा 17, 18 व 15
कैप्सन-मुफ्ती रेजानूर शमसी अररियावी, आचार्य भारतभूषण पाण्डेय व अनिल जीउत
कहते हैं धार्मिक विद्वान : फैजुल गुरबा के मुफ्ती रेजानूर शमसी अररियावी ने बताया कि सूरह दिलजाल में अल्लाह तआला फरमाते हैं कि अब तक जो भी जलजला आया है, ये छोटा-छोटा जलजला है। सबसे बड़ा जलजला कयामत के दिन होगा। उस दिन पूरा जमीन व पहाड़ हिल जायेगा। जमीन पर जितनी भी चीजें हैं वह रूई की भांति उड़ने लगेंगी। दरअसल यह जलजला अल्लाह तआला की ओर से नसीहत के लिए है कि उनके बताये रास्ते पर चलें।
श्रीसनातन शक्तिपीठ संस्थानम् के पीठाधीश्वर आचार्य भारतभूषण पाण्डेय
के अनुसार वेदों में भूसुकतम् आदि के द्वारा भूमि की महत्ता और उनकी प्रसन्नता का विज्ञान वर्णित है। पर्वत पृथ्वी के धारक खंभे हैं। इनका कमजोर होना पृथ्वी के असंतुलन के लिए बड़ा कारण है। श्री पाण्डेय के अनुसार वेदादि शास्त्रों से मानव जितना दूर जायेगा और सुधार व विकास के नाम पर नया-नया प्रकल्प चलायेगा, उसका दुष्परिणाम इस प्रकार के उत्पातों के रूप में अवश्य होने वाला है।
मारानाथ प्रेयर हाउस के पास्टर अनिल जीउत के अनुसार मत्ती 24:6-7, मरकूस 13:8 और लूका 27:7-9 में लिखा है कि भूकंप और अकाल होगा। इसका होना आवश्यक है। लेकिन इससे घबराना नहीं। यह पीड़ाओं का आरंभ होगा। जो अंत तक धीरज धरेगा, उसका उद्धार होगा। बाइबिल के अनुसार जब ऐसा हो तो अपने सिर उपर उठाना हो, ताकि हमारा उद्धार हो सके।
भूकंप से बचाव : भूकंप से बचने के लिए हमें भूकंपरोधी भवन का निर्माण करना होगा। मकान अपेक्षाकृत हलका बनाया जाये। बहुमंजिले इमारत न बनायें। अफवाहों से दूर रहें। भूकंप के समय लींटरयुक्त दरवाजे, मजबूत टेबुल, मजबूत चौकी, पलंग आदि के नीचे लेट जायें। घर से निकलकर खुले मैदान व सड़क पर चले जायें। कमजोर मकान व बड़ी बिल्डिंग के सामने खड़े न रहें।
स्कूलों के बंद होने से मिली राहत : भूकंप के मद्देनजर स्कूलों के दो दिनों के बंद होने की घोषणा से विद्यालय प्रबंधन समेत अभिभावक राहत की सांस ले रहे हैं। घोषणा के पूर्व विद्यालय प्रबंधन व अभिभावक ने राहत की सांस ली।
रमना मैदान व स्टेडियम में चहल-पहल बढ़ी : भूकंप को लेकर रमना मैदान व स्टेडियम में कई परिवार आराम फरमा रहे हैं। लोग घर से अधिक वहां अपने आप को महफूज मान रहे हैं। रमना मैदान तो महिलाओं, बच्चों और आदमियों की झुंड से भर गया है।
सुरक्षित घर आज हुआ असुरक्षित : हमेशा सुरक्षित रहने वाला घर आज असुरक्षित हो गया है। लोग घर में घुसकर दरवाजा बंद कर अपने आप को सुरक्षित महसूस करते थे। वहीं आज जब भी भूकंप आ रहा है तो लोग अपना-अपना घर छोड़कर सड़क पर आ जा रहे हैं।
जान व माल के हिफाज के लिए हो रहीं दुआएं : भूकंप से जान व माल की हिफाजत के लिए जहां मस्जिदों में दुआएं की जा रही हैं, वहीं मारानाथा प्रेयर हाउस के बैनर तले रविवार को द होली सेवियर चर्च में विशेष प्रार्थना आराधना सभा आयोजित की गयी।