'रेल मार्ग से नहीं जुड़ सकी कुंवर सिंह की नगरी'
- देश के प्रथम रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने सबसे पहले 1955 में बाबू वीर कुंवर ंिसह के सम्मान मे
- देश के प्रथम रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने सबसे पहले 1955 में बाबू वीर कुंवर ंिसह के सम्मान में जगदीशपुर को रेलमार्ग से जोड़ने की घोषणा की थी
- अब तक छह-छह रेलमंत्री रेलवे मानचित्र से जगदीशपुर को जोड़ने की कर चुके है घोषणा।
संवाद सहयोगी, जगदीशपुर (भोजपुर) : जब भी किसी राजनैतिक दल को चुनावी पारी की शुरुआत करनी होती है तो सबसे पहले उन्हें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी योद्धा बाबू कुंवर सिंह याद आते हैं और इनके सम्मान में इनके जन्म व कर्मभूमि जगदीशपुर में विकास कार्य करने को लेकर लंबी-चौड़ी घोषणाओं की फेहरिस्त लगा दी जाती है। मगर उनकी कई घोषणाएं सिर्फ भाषण तक ही सिमट कर रह जाती है। जनता के बीच रह जाते हैं सिर्फ लोक लुभावने वायदे।
जगदीशपुर को रेल मार्ग से जोड़ने की बात आजादी के समय से ही की जा रही है। देश के एक नहीं बल्कि छह-छह रेलमंत्रियों ने रेलवे मानचित्र से जगदीशपुर को जोड़ने की घोषणा की और कई बार रेल बजट में प्रस्ताव भी लाया। मगर उनकी ये घोषणाएं फाइलों तक ही सिमट कर रह गयी। देश के प्रथम रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने सबसे पहले 1955 में बाबू वीर कुंवर ंिसह के सम्मान में जगदीशपुर को रेलमार्ग से जोड़ने की घोषणा की थी। वहीं तत्कालीन रेल मंत्री के रूप में जगजीवन राम ने भी 1957 में स्थानीय किला मैदान में घोषणा की थी कि आरा-सासाराम की छोटी रेल लाइन को बड़ी लाइन में तब्दील करने का निर्णय रेल मंत्रालय ने लिया है और वह रेल लाइन आरा से जगदीशपुर होते हुए सासाराम जायेगी और इस प्रकार भारत के रेलवे मानचित्र से जगदीशपुर का नाम जुड़ जायेगा। 1974 में रेल मंत्री रहे केदार नाथ पांडेय ने रेल लाइन से जोड़ने की घोषणा की और इस संबंध में रेल विभाग ने मंत्री के आदेश को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक जमीन का सर्वे भी करा दिया था। मगर श्री पांडेय के निधन के बाद यह ठंडे बस्ते में चला गया। रेल मंत्री डा. रामसुभग सिंह व अनंत प्रसाद ने भी घोषणा की, लेकिन जगदीशपुर रेल मार्ग से नहीं जुड़ सका। बाद में लंबे अंतराल के बाद तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने रेल बजट सत्र में प्रस्ताव लाया कि मोहनिया-आरा रेल लाइन का निर्माण किया जायेगा जो जगदीशपुर को जोड़ते हुए जायेगी। बाद में आरा से सासाराम और मोहनिया के बीच रेल मार्ग पर परिचालन शुरू हुआ, मगर आज तक रेल मार्ग से नहीं जुड़ सकी बाबू कुंवर सिंह की नगरी।