जाम से जूझते लोगों को नहीं मिल रही राहत
सुधीर मिश्र,आरा : आरा नगर में 'सड़क जाम' की समस्या से लोगों को हर दिन घंटों जूझना पड़ रहा है। पहले वर्
सुधीर मिश्र,आरा : आरा नगर में 'सड़क जाम' की समस्या से लोगों को हर दिन घंटों जूझना पड़ रहा है। पहले वर्किंग-आवर में कमी-कभार सड़क जाम का नजारा देखा जाता था परंतु अब तो शहर के आधा दर्जन चौक अथवा मुख्य मार्ग पर सड़क जाम की समस्या ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है।
आजादी की लड़ाई से लेकर धार्मिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले इस ऐतिहासिक शहर की पहचान काफी पुरानी है। शहर में नये-नये बड़े मकान, मॉल, शो-रूम और दुकानें बनी। सड़कों का भी निर्माण हुआ है। लेकिन शहर की सड़कों का सही ले-आउट, बड़े खुले नालों पर प्लेटफार्म, पार्किंग की जगह-जगह समुचित व्यवस्था नहीं की गयी। यानि शहर के सड़कों पर आवागमन को ले आज तक कोई ठोस नीति नहीं बनी।
सड़कों पर जहां-तहां वाहनों को खड़ा करने, बड़े वाहनों का निर्बाध गति से शहर में आवागमन, सड़कों पर जगह-जगह ईट, बालू अथवा गिट्टी गिराकर भवन निर्माण कराने एवं नालों से सफाई को ले निकाले गये कचरे सड़कों पर रखने आदि आदतों का खामियाजा लोगों को सड़क जाम के रूप में भुगतन पड़ता है।
विदित हो कि वर्ष 1987 एवं 1998 में सड़कों-गलियों से अतिक्रमण हटाने का अभियान चला था, लेकिन मामूली पहल के बाद सब कुछ यथावत रहा। वर्ष 2013 में नगर विकास क्षेत्र की सर्वोच्च संस्था 'हुडको' द्वारा आरा विजन-2027 प्रस्तुत किया गया। प्रस्ताव में यह स्पष्ट विचार दिया गया था कि शहर-बाजार के नालों को इस कदर ढंका जाय कि प्लेटफार्म पर हल्के वाहन खड़ा हो सकें। फुटपाथ के रूप में इसका इस्तेमाल किया जा सके। यह प्रस्ताव नगर निगम में कहा पड़ा है इसकी खोज से अद्यतन जानकारी शायद मिले।
खास बात यह है कि 'स्वच्छ आरा-सुंदर आरा' को ले विगत एक डेढ़ दशक में कई बार योजनाएं बनीं। नगर निगम से नगर विकास, बिहार सरकार और विधायक-सांसद ने अपने-अपने फंड एवं सरकारी कोष से कई कार्यो को कराने की घोषणाएं की। इस घोषणाओं में शहर की सड़कों एवं नालों का नया लुक देने की चर्चा विशेष रूप में थी।
सड़क जाम से मुक्ति को ले शहर में कई चौक-चौराहों पर दो-तीन पुलिस के जवानों की भी ड्यूटी प्रत्येक दिन लगती है। जवानों की मौजूदगी के बावजूद 'सड़क जाम' क्यों लगता है इसकी तफ्तीश के लिए पुलिस अथवा प्रशासन के 'ऊपरी' लोगों के पास औचक निरीक्षण का शायद वक्त नहीं है। कमोवेश ट्रैफिक नियमों को तोड़ने वाले कुछेक लोग भी कम दोषी नहीं हैं। इस पर पुलिस व पब्लिक दोनों को सोचना होगा। सड़क जाम से निजात को ले नगर निगम एवं स्वयंसेवी संस्थाओं को भी पहल करनी चाहिए।