मुकाम नहीं पा सकी कई योजनाएं
संवाद सूत्र,बड़हरा(भोजपुर) : खेती को उन्नत बनाने की सरकारी क्रांति सुर्खियों में छायी दिखती है। खेतों
संवाद सूत्र,बड़हरा(भोजपुर) : खेती को उन्नत बनाने की सरकारी क्रांति सुर्खियों में छायी दिखती है। खेतों की मिट्टी को खुशहाल बनाने के पहले ही कृषि विभाग के घनचक्कर में पड़कर मिट्टी में मिल जाती है। जिससे खून-पसीना बहाने वाले मजदूर-किसान मृग तृष्णा की भांति योजनाओं का लाभ पाने को ले दर-दर भटककर निराश हो जाते हैं। बात योजनाओं के अंबार में से श्रीविधि (धान) की जाय या स्व विधि (गेहूं) की अनुदानित प्रत्यक्षण बीज की की जाय या मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना की, अनुदानित कृषि यंत्रों की की जाय या पटवन के डीजल अनुदान की, मुख्यमंत्री बागवानी मिशन की की जाय या कृषक पाठशालाओं की, मिट्टी जाच की की जाय या सिंचाई संसाधनों की, उचित दर पर उर्वरकों की उपलब्धता की की जाय या कृषि सहकारी समितियों की, कुकुट-मत्स्य व बकरी पालन योजनाओं की की जाय या बगीचा जीर्णोद्धार की। सब में योजनाएं दम घोटू व किसान हलकान दिखते हैं। योजनाओं के लाभुक किसानों के चयन में गड़बड़ी, असमय बीज का बिक्री व वितरण, योजनाओं के संचालन में लगे बीज खाद विक्रेता समूहों का घालमेल, कृषि कर्मियों की मनमानी कार्यशैली जैसे कतिपय कारणों का शिकार बन उक्त योजनाएं जमीन पर उस रूप में नहीं टीक पाती जिस रूप की अपेक्षा सरकार को है।